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आखिर रात में भी क्यों खुले रहे सरकारी दफ्तर?

locationजबलपुरPublished: Apr 01, 2019 04:39:10 pm

Submitted by:

gyani rajak

अधिकारी भी रहे सक्रिय, 31 मार्च तक पूरा करना था लक्ष्य
 

tax collection in government offices

tax collection in government offices

जबलपुर. वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन राजस्व वसूली का लक्ष्य पूरा करने के लिए विभागों में बड़ी चहल-पहल रही। रविवार का दिन होने के बावजूद रजिस्ट्री कार्यालय, आयकर, जीएसटी, नगर निगम और केंट बोर्ड के अलावा दूसरे विभागों के दफ्तर खुले रहे। अधिकारी एवं करदाताओं की भीड़ पूरे दिन और रात में भी कार्यालयों में लगी रही। अधिकारी हर पल राजस्व का आंकड़ा देखकर अपने हेड ऑफिस रिपोर्ट भेजते नजर आए। करदाता भी बकाया राशि चुकाने की जद्दोजहद करते रहे।

रजिस्ट्री कार्यालय में बिना देर किए प्रक्रिया पूरी की गई। आयकर विभाग में अधिकारी ऑनलाइन रिटर्न की जांच करते रहे। जीएसटी के केन्द्रीय एवं राज्य कार्यालय में अधिकारी तैनात रहे। नगर निगम में मुख्य कार्यालय के अलावा संभागीय मुख्यालयों में राजस्व विभाग का अमला रात तक अलग-अलग प्रकार के करों की वसूली करता रहा। केंट बोर्ड के राजस्व विभाग में करदाताओं की भीड़ रही। इसी प्रकार से बैंकों में भी वर्षभर कारोबार का हिसाब-किताब होता रहा। बाहर से गेट बंद रहा लेकिन अंदर अधिकारी और कर्मचारी अपना काम करते नजर आए।

निर्माणियों में 90 फीसदी टारगेट पूरा

जिले के चारों रजिस्ट्री कार्यालय रविवार को भी खुले रहे। इसके बावजूद इस वित्तीय वर्ष में 382 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट पूरा नहीं हो सका। स्थिति यह रही कि पिछले वर्षों में जहां रात 12 बजे तक के स्लॉट बुक रहते थे, लेकिन इस साल शाम 5.30 बजे तक ही बुकिंग रही। अंतिम समय में वसूली का आंकड़ा 300 करोड़ तक ही पहुंच सका। उधर, आयुध निर्माणियों में टारगेट लगभग पूरा हो गया है। चारों आयुध निर्माणियों को 3500 करोड़ रुपए का उत्पादन लक्ष्य दिया गया था। अंतिम समय तक यह 80-90 फीसदी के बीच रहा। जीसीएफ ने लक्ष्य से ज्यादा उत्पादन का रेकॉर्ड बनाया।

रजिस्ट्री से जुट पाए 300 करोड़
जिले के शहरी क्षेत्र में कलेक्टे्रट परिसर, अंधुवा बायपास और ग्रामीण क्षेत्र में पाटन और सिहोरा में रजिस्ट्री कार्यालय हैं। चारों कार्यालयों को 382 करोड़ रुपए का लक्ष्य दिया गया था, जो पूरा नहीं हो सका है। इसका कारण कलेक्टर गाइड लाइन में बदलाव नहीं होने को मना जा रहा है। विभागीय जानकारी के अनुसार पिछले साल 31 मार्च को जिलेभर में 300 रजिस्ट्री हुई थी। इस साल वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन चारों कार्यालयों में 70 रजिस्ट्री ही हो सकी।

22 दुकान सील, कर चुकाया तब खुली शटर
बकाया कर नहीं चुकाने पर केंट बोर्ड ने रविवार को सदर गली नम्बर एक में 22 दुकानों को सील कर दीं। आनन- फानन में इन दुकानों के संचालकों ने बोर्ड के राजस्व विभाग में जाकर राशि जमा की तब उन्हें राहत मिली। इसी तरह बिरमानी पेट्रोल पंप पर भी बकाया राशि के लिए कार्रवाई होनी थी, लेकिन प्रबंधन ने इसे चुका दिया। हालांकि तमाम प्रयासों के बावजूद बोर्ड 80 फीसदी राजस्व वसूल पाया। केंट घर एवं दुकानों से संपत्ति, जल, प्रकाश एवं सफाई कर वसूलता है। इस साल बोर्ड ने करीब 5 करोड़ राजस्व का लक्ष्य रखा था। लेकिन 31 मार्च तक खजाने में करीब तीन करोड़ रुपए आए।

नगर निगम में 50 फीसदी वसूली भी नहीं
नगर निगम प्रशासन ने वर्ष 2018-19 में कर वसूली के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका। तीन सौ करोड़ रुपए के कर वसूली के लक्ष्य के मुकाबले सम्पत्ति कर, जल शुल्क सहित अन्य मदों को मिलाकर 148 करोड़ रुपए ही निगम के खजाने में जमा हो सके। यह राजस्व अमले की ओर से पुनर्निर्धारित लक्ष्य 150 करोड़ रुपए से भी कम है। पिछले साल 185 करोड़ रुपये राजस्व निगम के खजाने में जमा हुआ था। कर वसूली अभियान वित्तीय वर्ष 2018-19 के आखिरी दिन देर शाम तक जारी रहा। निगम मुख्यालय सहित सम्भागीय कार्यालयों में लोगों ने कर जमा किए। राजस्व अमले ने सभी सम्भागों में बड़े बकायादारों के घर जाकर भी कर वसूला।

भवनों को किया कुर्क

लम्बे समय ये कर जमा नहीं करने वाले करदाताओं के भवनों को रविवार को कुर्क किया गया। वार्ड नम्बर 65 में पांच भवनों पर कुर्की के नोटिस चस्पा किए गए। सभी संभागीय कार्यालयों में जोन क्रमांक-11 की टीम ने ही संपत्ति कर वसूली का लक्ष्य पूरा किया।

कर वसूली का अभियान आगे भी जारी रहेगा। जिन करदाताओं ने अब तक कर जमा नहीं किया है, उन्हें अब 10 प्रतिशत अधिभार का भी भुगतान करना होगा।
पीएन संखेरे, राजस्व प्रभारी व उपायुक्त, नगर निगम.

 

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