भोपाल निवासी अनिल कुमार शुक्ला की ओर से अधिवक्ता ओमशंकर विनय पांडे व अंचन पांडे ने कोर्ट को बताया कि एक शिकायत पर लोकायुक्त ने याचिककार्ता को 2016 में रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया था। उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। 2019 में लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने उसे चार वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील लम्बित है। याचिकाकर्ता जमानत पर है। सजा के बाद 2020 में कलेक्टर सीहोर से आदेश पारित कर याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त कर दिया था। तर्क दिया गया कि जब तक उसकी अपील पर निर्णय नहीं आ जाता, गुजारा भत्ता दिया जाना चाहिए। इस सम्बंध में कई बार आवेदन दिया गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसीलिए याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त करने से पूर्व नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के अनुरूप सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। एकपक्षीय तरीके से बर्खास्त करने का रवैया चुनौती के योग्य है। जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने राज्य सरकार, राजस्व सचिव, सीहोर कलेक्टर, श्यामपुर तहसीलदार व पेंशन अधिकारी सीहोर को नोटिस जारी किए। अगली सुनवाई 13 सितम्बर को होगी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य से पूछा कि एसडीएम कोर्ट के बर्खास्त रीडर को गुजारा भत्ता क्यों नहीं दिया जा रहा?