दमोह निवासी डॉ अलका सोनी ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि उन्होंने 2010 में देश के प्रतिष्ठित और प्राचीन कॉलेज ऑफ फिजिशियन एण्ड सर्जन मुंबई (सीपीएस) से डिप्लोमा इन एनेस्थीसिया का कोर्स किया। अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि केन्द्र सरकार ने 2018 में अधिसूचना जारी कर वर्ष 2009 से इस कोर्स को मान्यता दी। प्रदेश सरकार ने भी राजपत्र में गजट नोटिफिकेशन के जरिए मप्र आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम में संशोधन कर 11 फरवरी 2020 को इस कोर्स को मान्यता दी । याचिकाकर्ता ने इस कोर्स के आधार पर मप्र मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया।लेकिन मेडिकल काउंसिल ने आवेदन निरस्त कर दिया। अधिवक्ता संघी ने तर्क दिया कि जिस कोर्स को केंद्र व राज्य सरकार ने की मान्यता है तो मेडिकल काउंसिल द्वारा सुनवाई का अवसर दिए बिना पंजीयन का आवेदन निरस्त करना अनुचित व अवैधानिक है। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी किए।।
मेथोडिस्ट चर्च इन इंडिया के तत्कालीन पदाधिकारियों पर एफआईआर
जबलपुर. मेथोडिस्ट चर्च इन इंडिया के तीन नामदज समेत अन्य तत्कालीन पदाधिकारियों के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने धोखाधड़ी और अपराधिक षड्य़ंत्र समेत अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है। चर्च के पदाधिकारियों ने ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित भूमि को मुक्त कराने के मामले में शासन को 28 लाख 15 हजार दस रुपए का चूना लगाया गया है।
ईओडब्ल्यू के एसपी देवेन्द्र प्रताप सिंह राजपूत ने बताया कि मेथोडिस्ट चर्च इन इंडिया के तत्कालीन एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी विनय पीटर, डिस्ट्रिक सुपरीटेन्डेन्ट रवि थेडोर और ले लीडर जीपी कोरनी समेत चार अन्य पदाधिकारियों को 22 एकड़ जमीन का कालोनाइजर लाइसेंस दिया गया था। इसमें कुल भूमि की 15 प्रतिशत भूमि 2.23 एकड़ ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित थी। इसे मुक्त कराने के लिए मथोडिस्ट चर्च इन इंडिया के पदाधिकारियों को 26 लाख 75 हजार 10 रुपए आश्रय शुल्क जमा करना था, लेकिन कालोनाइजर मेथोडिस्ट चर्च इन इंडिया द्वारा शासन को 18 लाख 60 हजार रुपए ही जमा किए गए। शेष राशि 28 लाख 15 हजार 10 रुपए नगर निगम जबलपुर में जमा नहीं किए गए। इसके बावजूद भूमि का विकास करा लिया गया। जांच में पाया गया कि मेथोडिस्ट चर्च इन इंडिया के तत्कालीन एग्जीक्यूटिव सेकेट्री विनय पीटर, डिस्ट्रिक सुपरीटेन्डेन्ट रवि थेडोर और ले लीडर जीपी कोरनी समेत चार अन्य पदाधिकारियो ने शासन को 28 लाख 15 हजार 10 रुपए का चूना लगाया है।