इंदौर नगर निगम ने अपने संसाधनों पर भरोसा जताया उन्हें और सशक्त किया, कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी। निगमायुक्त से लेकर संभागीय अधिकारी व सभी विभागों के प्रमुख अधिकारी मैदान पर उतरे निगरानी बेहतर की। इससे सफाई व्यवस्था में सुधार हुआ। नगरवासियों का भरोसा जीता तो वे भी सफाई कार्य में सहभागी बन गए। कचरा प्रबंधन को सेंट्रलाइज्ड करने के बजाय क्षेत्रवार किया।
अरशद बारसी, कनसल्टेंट, इंदौर, नगर निगम
इंदौर के मुकाबले हमारे पास मशीनरी व कर्मचारी कम हैं। इसके कारण यहां ठेका व्यवस्था लागू की। लेकिन इंदौर नगर निगम की जो भी अच्छी पहल की हैं अनुकरण करेंगे। निगमायुक्त को निर्देशित किया है की सभी विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए।
स्वाति गोडबोले, महापौर
नगर सत्ता ने मनमाने तरीके से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित किया। सफाई ठेके के मामले में प्रशासनिक अधिकारियों ने भी मनमानी की। निगम के अधिकारियों ने भी स्वच्छता से लेकर अन्य मामले में स्वयं सीखने के बजाय ज्यादातर व्यवस्थाएं ठेके पर दे दीं। जिसका खामियाजा शहर भुगत रहा है।
विनय सक्सेना, विधायक
नगर सत्ता से लेकर निगम के अधिकारियों ने शहर को सफाई में नंबर 1 बनाने प्रयास किए ही नहीं। दरअसल यहां कमीशन का खेल चल रहा है। यही वजह है की स्वच्छता में जबलपुर लगातार फिसड्डी रह रहा है।
राजेश सोनकर, नेता प्रतिपक्ष
स्वच्छता के क्षेत्र में इंदौर ने जो भी ठोस कदम उठाए हैं, उन्हें यहां भी लागू करने आवश्यक कदम उठाएंगे। प्रशासनिक शक्तियों का विकेन्द्रीकरण इसी दिशा में किया गया प्रयास है।
आशीष कुमार, निगमायुक्त