scriptक्यों नहीं कराई पीडब्ल्यूडी एसई के जाति प्रमाणपत्र की जांच | Why not check caste certificate of PWD SE | Patrika News

क्यों नहीं कराई पीडब्ल्यूडी एसई के जाति प्रमाणपत्र की जांच

locationजबलपुरPublished: Aug 31, 2019 07:43:21 pm

Submitted by:

prashant gadgil

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर इन चीफ व एसई को नोटिस जारी कर पूछा
 

High Court

हाईकोर्ट

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने सरकारी सेवा से जुड़े दो मामलों में सुनवाई की। पहले मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व अन्य से पूछा कि रीवा जिले में पदस्थ पीडब्ल्यूडी के एसई वीरेन्द्र कुमार झा के जाति प्रमाण-पत्र की जांच क्यों नहीं की गई? जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की सिंगल बेंच ने राज्य सरकार, पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर इन चीफ व संबंधित एसई वीरेन्द्र कुमार झा को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा। जबलपुर निवासी अभिषेक कुमार सिंह ने याचिका में कहा कि रीवा में पदस्थ पीडब्ल्यूडी के एसई वीरेन्द्र कुमार झा की नियुक्ति 1992 में अनुसूचित जाति वर्ग में हुई थी। नियुक्ति के समय उन्होंने बिलासपुर के तहसीलदार द्वारा जारी अनुसूचित जाति वर्ग बाल्मीकी जाति का प्रमाण-पत्र पेश किया था। लेकिन बिलासपुर तहसीलदार से प्राप्त लिखित जानकारी के अनुसार उनके कार्यालय से ऐसा कोई जाति-प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। फर्जी जाति-प्रमाण पत्र मामले में कार्रवाई के लिए पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर इन चीफ को पत्र लिखा गया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए कार्रवाई करने से इनकार कर दिया कि वीरेन्द्र कुमार झा प्रथम श्रेणी अधिकारी है। अधिवक्ता समरेश कटारे ने कोर्ट से उक्त जाति-प्रमाण पत्र की जांच कराकर झा की नियुक्ति निरस्त करने के निर्देश देने का आग्रह किया। प्रांरभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
पूर्व सीएमएचओ को कार्यवाहक पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं
उधर एक दूसरे मामले में मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा कि शासकीय अधिकारी को कार्यवाहक पद पर बने रहने का वैधानिक अधिकार नहीं है। जस्टिस अतुल श्रीधरन की सिंगल बेंच ने जबलपुर के पूर्व सीएमएचओ (चीफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफीसर) डॉ मुरली अग्रवाल की याचिका खारिज करते हुए यह कहा। डॉ. अग्रवाल ने सीएमएचओ पद से हटाने को चुनौती दी थी। अग्रवाल ने याचिका दायर कर कहा कि वे लंबे समय से जबलपुर सीएमएचआे के पद पर कार्यरत थे। राज्य सरकार ने 5 जुलाई 2019 को एक आदेश जारी कर उनसे सीएमएचओ पद का प्रभार छीन लिया। उन्हें जिला अस्पताल जबलपुर में रेडियोलॉजिस्ट के पद पर तैनात कर दिया गया। उनकी जगह डॉ मनीष मिश्रा को सीएमएचओ बना दिया गया। यह अनुचित है। शासकीय अधिवक्ता मधुर शुक्ला ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता रिटायरमेंट की कगार पर हैं। एेसे में उनके रिटायरमेंट के बाद सीएमएचओ का महत्वपूर्ण पद खाली न रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक आवश्यकता के लिहाज से उक्त आदेश जारी किया गया। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने तर्क को सही मानते हुए याचिका निरस्त कर दी। अनावेदक डॉ मिश्रा की ओर से अधिवक्ता शिवेंद्र पांडे के साथ अधिवक्ता विपुलवर्धन जैन उपस्थित हुए।
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