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उप सरपंच, जिला व जनपद पंचायत उपाध्यक्ष के पदों पर महिला आरक्षण क्यों नहीं दिया?

locationजबलपुरPublished: Aug 18, 2022 07:42:54 pm

Submitted by:

prashant gadgil

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा

Jabalpur High Court

Jabalpur High Court

जबलपुर. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में उप सरपंच, जिला पंचायत व जनपद पंचायत उपाध्यक्ष के पदों पर महिला आरक्षण क्यों नहीं दिया गया? चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने पंचायत एवं सामाजिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव, राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त व जिला निर्वाचन अधिकारी सह कलेक्टर जबलपुर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। अगली सुनवाई दो सितंबर तय की गई।
जबलपुर निवासी मीना बर्मन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य में वर्ष 1994 से मप्र पंचायत राज अधिनियम लागू है। 1995 से नियमानुसार महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में 50 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है। तर्क दिया गया कि पंच, सरपंच जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, जनपद अध्यक्ष तथा जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों महिलाओं को समान रूप से आरक्षण मिल रहा है, लेकिन उप सरपंच, जनपद उपाध्यक्ष व जिला पंचायत उपाध्यक्ष में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया जा रहा। यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। उक्त पदों पर एससी, एसटी, ओबीसी को आरक्षण दिया गया है।
इधर, गांजा तस्कर को तीन वर्ष का कठोर कारावास, 10 हजार जुर्माना
एक दूसरे मामले में विशेष न्यायाधीश (एनडीपीएस एक्ट) सुजीत कुमार सिंह की अदालत ने गांजा तस्करी के आरोपी ग्राम उमरिया मझौली निवासी वीरन सिंह को दोषसिद्ध पाकर तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 10 हजार रुपए जुर्माना लगाया। जुर्माना राशि अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। अतिरिक्त लोक अभियोजक अरविंद जैन ने कोर्ट को बताया कि मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने दबिश दी थी। इस दौरान आरोपी को गांजे सहित गिरफ्तार किया गया था। तर्क दिया गया कि गांजा युवा पीढ़ी की नशों में धीमे जहर की तरह दौड़ता है। अदालत ने तर्क से सहमत होकर दोषसिद्ध पाते हुए सजा सुनाई।
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