जबलपुरPublished: Jul 06, 2020 08:21:32 pm
prashant gadgil
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
case filing
जबलपुर. लॉकडाउन खुलने के बाद भी प्रदेश में बसों का संचालन बंद रहने के मसले पर हाईकोर्ट ने संजीदगी जताई। सोमवार को जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की सिंगल बेंच ने 25 बस मालिकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया। उप महाधिवक्ता को कहा गया कि वे सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट को बताएं कि बस मालिकों को टैक्स में छूट सम्बन्धी अधिसूचना क्यों नही जारी की गई?
मध्य प्रदेश बस ऑनर्स एसोसिएशन के प्रदेश सचिव वीरेंद्र कुमार साहू व भोपाल, उज्जैन, विदिशा, सागर, जबलपुर के 25 बस ऑपरेटर्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी, आशीष त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी व आनंद शुक्ला ने तर्क दिया कि राज्य के बस ऑपरेटर्स को कोविड-19 की आपात परिस्थितियों में मध्यप्रदेश मोटरयन कराधान अधिनियम-1991 की धारा-21 में वर्णित प्रावधान के अंतर्गत टैक्स की छूट संबंधी अधिसूचना जारी नहीं की गई। जबकि 24 मार्च, 2020 से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण पूरे देश सहित प्रदेश की हजारों बसें अनवरत खड़ी हुई हैं। इससे सड़क परिवहन का पूरा ढांचा ही बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। भारत सरकार के परिवहन मंत्रालय ने राज्यों को एडवाइजरी जारी करते हुए वाहनों के फिटनेस, परमिट, ड्राइविंग लाइसेंस, पंजीकरण इत्यादि की तिथि 30 जून तक बढ़ाने के साथ ही तीसरी एडवाइजरी में कई अन्य राज्यों की तरह टैक्स दायित्व को कमर्शियल वाहनों के लिए निलंबित करने की सलाह दी। इसे लागू करने के लिए भी कहा। ऐसा इसलिए ताकि ट्रांसपोर्टर को कठिन परिस्थितियों का सामना ना करना पड़े। इसके बावजूद परिवहन आयुक्त मध्य प्रदेश ने परमिट की तिथि तो 30 जून तक बढ़ा दी लेकिन करों में छूट के संबंध में आज तक कोई आदेश पारित नहीं किया। जबकि मध्य प्रदेश मोटरयान अधिनियम-1991 की धारा 21 में रोड टैक्स इत्यादि में छूट के लिए राज्य शासन को अधिसूचना जारी करने की शक्तियां प्राप्त हैं। इसके बावजूद ऐसी कोई अधिसूचना सरकार ने जारी नहीं की। इसी रवैये के खिलाफ कोर्ट की शरण ली गई।