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प्रमोशन देकर क्यों लिया वापस, दो साल से नहीं बता रही सरकार

locationजबलपुरPublished: Dec 03, 2019 09:03:39 pm

Submitted by:

prashant gadgil

हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, दस हजार रुपए कॉस्ट लगाई
 

High Court

हाईकोर्ट

जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दो साल पूर्व कुछ सवाल पूछे थे। इन सवालों का जवाब अब तक नहीं पेश किया गया तो कोर्ट ने नाराजगी जताई। जस्टिस संजय यादव व जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बेंच ने कहा कि न्यायहित में सरकार को एक सप्ताह में जवाब देने का अवसर दिया जाता है। लेकिन सरकार को दस हजार रुपए कॉस्ट चुकानी होगी। मामला पुलिस अधिकारियों के आउट ऑफ टर्न प्रमोशन से जुड़ा है।
यह है मामला
पुलिस मुख्यालय भोपाल में पदस्थ इंस्पेक्टर निरंजन शर्मा व अन्य की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया कि कार्यकाल के दौरान याचिकाकर्ताओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर हार्डकोर नक्सलियों, अपराधियों को पकडऩे व गंभीर वारदातों का खुलासा करने में सफलता हासिल की। इसके चलते उनके आउट ऑफ टर्न प्रमोशन की अनुशंसा की गई। 24 सितंबर 2003 में इसके आदेश हो गए। लेकिन 30 जून 2004 को सरकार ने मनमानी तरीके से प्रमोशन वापस लेने का आदेश दे दिया गया। हाईकोर्ट ने 6 दिसंबर 2016 को याचिका का निराकरण कर याचिकाकर्ताओं को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन का अधिकारी पाया। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि तीन माह के अंदर याचिकाकर्ताओं को पूर्वप्रभाव से प्रमोशन देकर अन्य सभी संबंधित लाभों का भुगतान किया जाए। इसी फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की आेर से यह अपील की गई।
तीन सवालों के नहीं दिए जवाब
25 जुलाई 2017 को कोर्ट ने सरकार से तीन सवाल पूछे थे। यह बताने को कहा गया था कि 2003 में दिया गया प्रमोशन का आदेश प्रभावी हुआ या नहीं? कमेटी के ठुकराने के बावजूद यह आदेश क्यों दिया गया? देने के बाद प्रमोशन वापस लेने की वजह क्या थी ? अनावेदकों की ओर से अधिवक्ता एनएस रूपराह, अजय रायजादा ने कोर्ट को बताया कि अब तक तीनों सवालों के जवाब नहीं दिए गए।

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