जबलपुरPublished: Jun 01, 2020 08:09:32 pm
prashant gadgil
हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा.. याचिका में संशोधित प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती
हाईकोर्ट
जबलपुर. मप्र हाइकोर्ट में एक याचिका के जरिये राज्य सरकार की ओर से हाल ही में श्रम कानूनों में किये गए संशोधनों को चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से याचिका पर अपना पक्ष 15 जून तक पेश करने को कहा। अगली सुनवाई 17 जून को होगी। मोइल जनशक्ति मजदूर संघ बालाघाट के अध्यक्ष रामप्रसाद खुरसेल की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने प्रदेश में नए उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बीते दिनों श्रम कानूनों में संशोधन किए। वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व अधिवक्ता जुबिन प्रसाद ने तर्क दिया कि इनमें मुख्य 5 संशोधनों सहित अन्य कई संशोधित प्रावधान श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं। संशोधन के तहत लगभग हर तरह के करीब 300 उद्योगों को मप्र औद्योगिक सम्बन्ध अधिनियम के दायरे से बाहर कर दिया गया। इसके चलते अब श्रमिकों से जुड़े मामले इस अधिनियम के तहत नहीं आएंगे। केंद्रीय औद्योगिक विवाद अधिनियम में भी संशोधन कर आगामी 3 साल में लगने वाले नए उद्योगों को ही श्रमिकों के विवादों पर विचार और निराकरण के अधिकार दे दिए गए। इसके चलते श्रमिकों का श्रम न्यायालय के समक्ष जाने का हक छीन लिया गया। फैक्टरी एक्ट को संशोधित कर कारखानों के निरीक्षण व प्रमाणन का अधिकार फैक्ट्री निरीक्षक से लेकर श्रम आयुक्त की ओर से नियुक्त निजी प्रतिनिधि को दे दिया गया। निरीक्षक का अधिकार दुर्घटना या शिकायत की जांच तक सीमित कर दिया गया। श्रमिक कल्याण अधिनियम के दायरे से भी नए उद्योगों को मुक्त कर दिया गया। संशोधित श्रम कानूनों के तहत अब लेबर यूनियनों का वजूद भी खतरे में है। इन संशोधनो को श्रमिको के हितों के खिलाफ व असंवैधानिक बताते हुए अधिवक्ता नागरथ ने इन्हें निरस्त करने का आग्रह किया। महाधिवक्ता पीके कौरव ने राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने का समय मांगा, जिसे मंजूर कर कोर्ट ने 15 जून तक का समय दे दिया।