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जबलपुर

सुधरेगा शिक्षा का स्तर,प्रदर्शन के आधार पर होंगे छात्र फेल-पास

आरटीई में एमंडमेंट, 5वीं-8वीं परीक्षा का मामला, शिक्षक हो रहे थे जवाबदारी से लापरवाह, शिक्षकों को अब करनी होगी मेहनत, परीक्षाएं शुरू हो जाने के बाद लिया निर्णय, अगले सत्र से हो जाएगा प्रभावी

जबलपुरMar 10, 2019 / 07:12 pm

Mayank Kumar Sahu

Students show talent in Science Olympiad

Students show talent in Science Olympiad

जबलपुर।

स्कूलों में बेसिक शिक्षा की लगातार कमजोर हो रही नींव को सुधारने के लिए आखिरकार पांचवी और आठवीं परीक्षा मे मूल्यांकन नहीं बल्कि अब परीक्षा लिए जाने का प्रावधान लागू किया गया है। इसके लिए राज्य सरकार ने नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई) में संशोधन कर दिया है। लेकिन इस संशोधन पर सख्ती अगले साल से ही दिखाई देगी। क्योंकि दोनों ही परीक्षाएं 28 फरवरी से शुरू होने के बाद लिया गया है। इस वजह से नियम तो लागू होंगे लेकिन इस बार सख्ती नहीं होगी।
8 लाख छात्र देते हैं परीक्षा

प्रदेश में पाचवीं और आठवीं में करीब 8 लाख छात्र परीक्षा में शामिल होते हैं। जबकि जिले में प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों की संख्या 1.5 लाख के लगभग है। सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को मिलाकर यह संख्या करीब ४लाख के पास पहुंचती है। जिले में ही करीब 2 लाख परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल होते हैं।
2 माह की स्पेशल क्लास

नए संशोधन के बाद राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा तय प्रश्न पत्र हल करने वाला विद्यार्थी ही उत्तीर्ण होगा, जो विद्यार्थी प्रश्न हल नहीं करेंगे या गलत उत्तर देंगे, वे अब फेल किए जाएंगे। ऐसे विद्यार्थियों को दो माह संबंधित विषय की पढ़ाई कराकर फिर से परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। उसमें भी पास नहीं होने वाले विद्यार्थियों को फिर से एक साल उसी कक्षा में पढऩा होगा। सरकार ने नियम संशोधन कर दो मार्च को प्रकाशित कर दिए हैं। इसलिए नियम लागू तो हो गए, लेकिन नियम के पालन को लेकर संशय बना हुआ है।
9 सालों से चली आ रही व्यवस्था

आरटीई वर्ष 2009 में लागू हुआ,जिसमें कक्षा एक से लेकर आठ तक पढऩे वाले बच्चों को फेल नहीं करने का प्रावधान लागू किया गया। फेल न करने के नियम से शिक्षकों में पढ़ाने की प्रवृत्ति कम हो रही थी तो वहीं बच्चों में सीखने की। अभिभावक भी शिक्षा के प्रति लापरवाह होने लगे थे। भले ही 8 वीं पास करने के बाद छात्र 9 वीं में पहुंच जाता था लेकिन उसका बेसिक स्तर बेहद कमजोर रहता था। मूल्यांकन की तैयारी बोर्ड पैर्टन पर ही क्यों न की गई हो।

शिक्षक, अभिभावकों को करानी होगी मेहनत

मॉडल स्कूल शिक्षिका रश्मी श्रीवास्तव कहती हैं कि बोर्ड परीक्षा का बच्चों,अभिभावकों में एक तरह से भय रहता है। निश्चित ही इस निर्णय से शिक्षा गुणवत्ता सुधरेगी वहीं शिक्षकों को भी मेहनत करनी होगी। इंद्राना उमावि में पदस्थ व्याख्याता हेमंत खुटानिया कहते हैं कि पांचवी आठवीं को बोर्ड करने के निर्णय के पीछ छात्रों का बेसिक स्तर में सुधार करना है।

वर्जन
-बेसिक शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए यह बदलाव किया गया है। पांचवी एवं आठवीं की परीक्षाएं इस बार शुरू हो चुकी हैं। नया बदलाव अगले सत्र से प्रभावी हो जाएगा।

-आरपी चतुर्वेदी, जिला परियोजना समन्वयक
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-नवमीं कक्षा में आने वाले छात्रों का शैक्षणिक स्तर बेहद कमजोर रहता है। स्तर सुधारने के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर पढ़ाई करानी पड़ती है। इससे बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट भी प्रभावित होता है। प्राचार्यों द्वारा कई बार इस बात से अवगत कराया गया है।
-वीणा बाजपेयी, प्राचार्य उत्कृष्ट मॉडल स्कूल

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बोर्ड परीक्षा का बच्चों,अभिभावकों में एक तरह से भय रहता है। निश्चित ही इस निर्णय से शिक्षा गुणवत्ता सुधरेगी वहीं शिक्षकों को भी मेहनत करनी होगी।

रश्मी श्रीवास्तव, शिक्षिका मॉडल स्कूल

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यह आ रही थी समस्या

-नवीं में आने वाले बच्चों पर ज्यादा मेहनत
-इन बच्चों को एक्स्ट्रा क्लास लगाकर पढ़ाई

-बोर्ड परीक्षा में परिणामों का स्तर गिरना
-शिक्षक पढ़ाने की प्रवृत्ति का हस होना

फैक्ट फाइल
-4 लाख छात्र स्कूलों में अध्ययनरत

-1.5 लाख छात्र सरकारी स्कूलों में
-2.5 लाख छात्र प्राइवेट स्कूलों में

-2 लाख 5वी 8 वीं में अध्ययनरत

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