script‘खिलौना’ बन गया पुलिस का वायरलेस सिस्टम! | Wireless system of police becomes 'toy' | Patrika News

‘खिलौना’ बन गया पुलिस का वायरलेस सिस्टम!

locationजबलपुरPublished: Nov 04, 2019 11:57:47 am

Submitted by:

santosh singh

Police wireless system:समझ नहीं आता चोर बोल रहे हैं कि चौकीदार,फ्रीक्वेंसी और सिग्नल सिस्टम बिगड़ा,हाइटेक सिस्टम में आवाज भर्रा रही है, कई बार गलतफहमी की स्थिति बन रही

जबलपुर.पुलिस के नए वायरलेस सिस्टम ने पुलिस अधिकारियों व मातहतों का सिरदर्द बढ़ा दिया है। कहीं सिग्नल गायब हो रहा है, तो कभी फ्रीक्वेंसी के चलते कमरे के अंदर यह काम नहीं कर पा रहा। आवाज तो इस तरह भर्रा कर आती है कि कई बार अधिकारियों के आदेश को लेकर ही गलतफहमी पैदा हो जाती है। अक्सर मोबाइल पर कॉल कर आदेश को क्लीयर करना पड़ता है। हैरानी की बात है कि नया वायरलेस सिस्टम लगाने वाली कम्पनी के इंजीनियर भी इस खामी को दूर नहीं कर पा रहे हैं। अब कम्पनी ने रूस से इंजीनियर बुलाया है।
यह है स्थिति-
वॉकी-टॉकी सेट-1100
स्टेटिक सिस्टम-500
लागत-07 करोड़
नए सिस्टम में सब समाहित
शहर में अभी तक एनालॉग ट्रंकिंग कम्युनिकेशन सिस्टम पर वायरलेस काम कर रहा था। यह फ्रिक्वेंसी 800 मेगाहर्टज पर काम करता था। जबकि, नया वायरलेस सेट डिजिटल पर काम करता है। इसकी फ्रिक्वेंसी भी काफी कम है। पुराना ट्रंकिंग सिस्टम 100 वॉट पर काम करता था। नया सिस्टम 40 वॉट पर काम करता है। पुराने ट्रंकिंग सिस्टम में शहर, ग्रामीण, हाईकोर्ट, ट्रैफिक के लिए अलग-अलग नेटवर्क था। नए सिस्टम में सब समाहित हैं।
तीन टावर से पूरा जिला कर रहे कवर
नए डिजिटल वायरलेस सिस्टम के लिए सीता पहाड़ी, पिसनहारी की मढिय़ा व सिहोरा में तीन टॉवर लगाए गए हैं। इससे पूरा जिला कवर तो हो गया, लेकिन आवाज और सिग्नल की समस्या जब तक आ रही है। कई सेटों में फीचर सेटिंग की भी समस्या आ रही है। रेडियो पुलिस का दावा है कि टीम थानेवार जाकर प्रशिक्षण दे रही है, लेकिन इसे सही तरीके से हैंडल करने में उन्हें समय लग रहा है।
महंगा होने के चलते पुराने सिस्टम से किया तौबा
एनॉलाग ट्रंकिंग सिस्टम सबसे हाइटेक है, लेकिन मौजूदा समय में इसकी लागत 35 करोड़ रुपए के लगभग पड़ेगी। जिले में पुराना सिस्टम 2003 में लगा था। मौजूदा समय में उसके पाट्र्स र्भी नहीं मिल पा रहे हैं। उसकी क्षमता भी महज 600 वायरलेस वॉकी-टॉकी की है। जबकि, जिले का मौजूदा बल ही 3500 तक पहुंच गया है। अधिक लागत की वजह से डिजिटल वायरलेस सिस्टम लगाया गया है।
एशिया में पहली बार लग रहा यह सिस्टम
डिजिटल वायरले सिस्टम एशिया में पहली बार जबलपुर में लग रहा है। इसकी वजह से एजेंसी के इंजीनियर भी इसकी खामी को नहीं पकड़ पा रहे हैं। अयोध्या फैसले को लेकर एक तरफ अलर्ट है। ऐसे में नया वायरलेस सिस्टम की क्लीयर आवाज न होना बड़ी समस्या बनी हुई है।
….वर्जन-
नया डिजिटल वायरलेस सिस्टम अभी ट्रॉयल पर है। आवाज और फ्रिक्वेंसी को लेकर कुछ परेशानी है। इसके लिए एजेंसी के इंजीनियर से लगातार सम्पर्क में हूं। रेडियो पुलिस की टीम भी थानेवार जाकर इसे चलाने का प्रशिक्षण दे रही है।
प्रांजलि शुक्ला, एसपी, रेडियो जबलपुर

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