जबलपुरPublished: Mar 06, 2019 12:40:15 am
santosh singh
2014 के लोकसभा चुनाव में दो लाख मतों का था फासला
लोकसभा चुनाव
जबलपुर. लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भले न किया गया हो, लेकिन पार्टियों के स्तर पर मतदाताओं को लुभाने से लेकर प्रचार-प्रसार का काम शुरू कर दिया गया है। पार्टियां अलग-अलग अभियानों के माध्यम से मतदाताओं तक पहुंचने की जुगत में लगी हैं। तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में जिले की आठों सीटों पर हुए उलटफेर ने दोनों ही मुख्य पार्टियों को अपने समीकरण नए सिरे से तैयार करने के लिए मजबूर कर दिया है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो दोनों पार्टियों के बीच पांच साल में फासला घटकर महज 31 हजार का रह गया है।
इस तरह आंकड़ों से समझें-
लोकसभा 2014 में
कुल वोटर-17.11 लाख
मत पड़े-10.02 लाख
मत प्रतिशत- 58.55
नोटा-7888
भाजपा को मिले-564609
कांग्रेस को मिले-355970
जीत-हार का अंतर-208639
विधानसभा 2018 में-
कुल वोटर-17.67 लाख
मतदान हुआ-12.74 लाख
मत प्रतिशत-72.10 प्रतिशत
नोटा-20921
भाजपा को मिले-567506
कांग्रेस को मिले-535673
अंतर-31833
भाजपा-कांग्रेस के मतों में 20 प्रतिशत का था अंतर
लोकसभा 2014 के आम चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के मतों का फासला दो लाख का था। लगभग 20 प्रतिशत का ये अंतर पांच साल में काफी हद तक कांग्रेस पाटने में सफल रही है। यदि 2018 के विधानसभा और पिछले लोकसभा के आंकड़ों की तुलना करें तो जहां कांग्रेस के मतों में 1.79 लाख का उछाल आया है। वहीं भाजपा के मतों में मामूली 2899 मतों की बढ़ोतरी हुई है।
ग्रामीण में भाजपा तो शहर में कांग्रेस का दबदबा
शहरी मतदाताओं का जनादेश भाजपा के खिलाफ रहा। यहां की चार सीटों में तीन पर कांग्रेस के विधायक चुने गए। जबकि ग्रामीण की चार सीटों में भाजपा तीन सीटों का आंकड़ा बरकरार रखने में सफल रही। अब विधायकों पर दारोमदार लोकसभा में अपनी-अपनी पार्टी के मतों को बढ़ाने की है। हालांकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत काफी हद तक नतीजों को तय करते हैं। अभी तक लोकसभा में विधानसभा की तुलना में वोटिंग प्रतिशत कम होती रही है।