scriptफिर सुर्खियों में आया 600 करोड़ का घोटाला | Without physical verification, investigation of scam of 600 crores | Patrika News

फिर सुर्खियों में आया 600 करोड़ का घोटाला

locationजबलपुरPublished: Dec 08, 2019 10:20:54 pm

Submitted by:

virendra rajak

विधानसभा से मांगी गई जानकारी

Accountant and principal did corruption in education department

Accountant and principal did corruption in education department

जबलपुर, मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड अंतर्गत लाइन लॉस रोकने के लिए आरएपीडीआरपी सहित 600 करोड़ का घोटाला हुआ। लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज किया गया। लोकायुक्त ने कंपनी से जांच रिपोर्ट मांगी, तो कंपनी ने आनन-फानन में जांच रिपोर्ट पेश कर दी। विधानसभा में प्रश्न लगने के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
यह है मामला

लोकायुक्त में दर्ज शिकायत में बताया गया है कि पूर्व क्षेत्र कम्पनी ने 142 शहरों को पायलेट प्रोजेक्ट के अंतर्गत अलग-अलग योजनाओं में लाइन लॉस कम करने के लिए चयनित किया था। 600 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में सब स्टेशनों का निर्माण, केबलीकरण, अविद्युतकृत घरों को कनेक्शन देने, पोल लगाने, घरों को मीटरयुक्त करना, ट्रांसफॉर्मरों की क्षमता बढ़ोतरी के साथ उच्च क्षमता के नए ट्रांसफॉर्मर लगाने का काम शामिल था। इस योजना पर अमल होने से सिर्फ जबलपुर सिटी सर्किल में हर महीने पांच करोड़ की बचत होती।
यह थे आरोप

-मई 2009 में लाइन लॉस का ठेका ए-टू-जेड कम्पनी को दिया गया। कम्पनी काम नहीं कर पाई तो विजय माल्य की कम्पनी यूबी इंजीनियरिंग को 152 करोड़ में यही ठेका दिया गया। ये कम्पनी भी भाग गयी तो तीसरी कम्पनी के तौर पर गुडग़ांव की स्टेप-अप कम्पनी को 116 करोड़ में ये ठेका दिया गया।
-ए-टू-जेड कम्पनी महज 30 प्रतिशत काम कर पाई थी, लेकिन उसे 70 प्रतिशत भुगतान कर दिया गया था।

-विजय माल्या की कम्पनी ने भी 35 प्रतिशत काम किया था, लेकिन उसे पूरा भुगतान कर दिया गया। यहां तक कि मेंटनेंस के नाम पर 12 करोड़ अलग से दिया गया। ठेका 2012 में समाप्त होना था, लेकिन 31 महीनों बाद भी काम समाप्त नहीं हुआ। उस वक्त सीई अजय शर्मा थे।
-कम्पनी ने यूबी इंजीनियरिंग कम्पनी के जो मटेरियल सीज किया उसकी गुणवत्ता भी अच्छी नहीं थी।

यह पूछा गया सवाल

– लोकायुक्त में दर्ज प्रकरण क्रमांक 550/17 में उल्लेखित अनियमितताओं का भौतिक सत्यापन किया गया ?
– फर्जी भुगतान की जांच अभिलेखों से की गई या नहीं ?

– लोकायुक्त में दर्ज प्रकरण की जांच के लिए पूर्व में कोई जांच दल गठित किया गया ?

– प्रकरण की वर्तमान स्थिति क्या है ?

ट्रेंडिंग वीडियो