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इस शहर में हैं दुनिया श्रेष्ठ धरोहर, देश विदेश में होती है खूब चर्चा, फिर भी उपेक्षा का शिकार

locationजबलपुरPublished: Apr 18, 2020 11:55:38 am

Submitted by:

Lalit kostha

इस शहर में हैं दुनिया श्रेष्ठ धरोहर, देश विदेश में होती है खूब चर्चा, फिर भी उपेक्षा का शिकार
 

Bhedaghat, jabalpur

Bhedaghat, jabalpur

जबलपुर. धुआंधार से लेकर स्वर्गद्वारी निखर उठी है, पंचवटी में जीवनदायिनी का भव्य स्वरूप मनमोह रहा है। लॉक डाउन के कारण सुरम्य स्थलों में मानवीय चहलकदमी थम जाने के कारण इन स्थलों का नैसर्गिक स्वरूप देखते ही बन रहा है। जबकि, प्राकृतिक स्वरूप से समृद्ध संगमरमरीवादियों, मदनमहल की पहाडिय़ों से लेकर डायनासोर का जीवाश्म क्षेत्र और क्र ोकोडाइल का विचरण क्षेत्र आज भी अपनी पहचान को मोहताज है। जानकारों के अनुसार ये प्राकृतिक रूप से इंटीग्रेटेड टूरिस्ट सर्किट वल्र्ड हेरिटेज साइट के लिए सर्वाधिक अनुकूल है। इस दिशा में प्रयास शुरू भी हुए, लेकिन उन्हें अमलीजामा पहनाने की दरकार है।

वर्ल्ड हेरिटेज डे: इंटीग्रेटेड टूरिस्ट वल्र्ड हेरिटेज साइट के लिए सर्वाधिक अनुकूल
दुनियाभर को लुभाती हैं शहर की धरोहरें, फिर भी नहीं मिल पा रहा हेरिटेज का दर्जा

 

amazing balancing rock swinging in the air
IMAGE CREDIT: patrika

डायनासोर का जीवाश्म
लम्हेटाघाट व जीसीएफ की पहाडिय़ों में डायनासोर के जीवाश्म मिले थे। डायनासोर के अंडे भी मिले थे। इतना ही नहीं लम्हेटाघाट के आसपास करोड़ों साल पुरानी
चट्टान हैं।

संतुलित शिलाओं का शहर
मदनमहल किला पहुंच मार्ग पर स्थित बैलेंसिंग रॉक को सभी जानते हैं, लेकिन भूकम्प के लिहाज से सबसे संवेदनशील शहरों में से एक जबलपुर में पहाडिय़ों पर ऐसी लगभग 11 संतुलित शिलाएं हैं। बड़े भूकम्प के बावजूद ये नहीं डिगीं। ऐसे में दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए ये शोध का विषय हैं।

 

क्षेत्रीय लोगों ने भेड़ाघाट स्थित इस मंदिर की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए की मांग
IMAGE CREDIT: patrika

गोलकीमठ विश्वविद्यालय
भेड़ाघाट में गोलकीमठ विश्वविद्यालय के अवशेष हैं। ये विश्वविद्यालय तक्षशिला व नालंदा विश्वविद्यालय के काल में था, जिसमें दुनियाभर से शिक्षा के लिए विद्यार्थी आते थे। इसके अवशेष के रूप में आज भी चौसठयोगिनी मंदिर स्थित है। इस तरह के और भी कई स्थल संस्कारधानी में मौजूद हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। जानकारों का कहना है कि संस्कारधानी में मौजूद ऐसी धरोहरों को लेकर व्यवस्थित कार्ययोजना बनाकर काम किया जाए तो क्षेत्र के विकास में भी लाभदायक होगा।

चौसठयोगिनी मंदिर एक स्थापित साइट है। जिसे वल्र्ड हेरिटेज साइट बनाने के लिए ठोस प्रयास होने चाहिए, ये मांग रखी है। इस पर अमल होता है तो दुनियाभर के पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनेगा। दुनियाभर के शोधार्थी शोध के लिए पहुंचेंगे। भेड़ाघाट समेत समूचे जबलपुर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
– रविन्द्र वाजपेयी, सदस्य, संस्कृति सलाहकार बोर्ड

धुआंधार, बादलमहल, स्वर्गद्वारी से लेकर डायनासोर के जीवाश्म का क्षेत्र, जीवनदायिनी नर्मदा तट की करोड़ों साल पुरानी चट्टान, मदनमहल की पहाडिय़ों में स्थित संतुलित शिलाओं व परियट-खंदारी में क्रोकोडाइल के लिए सर्वाधिक अनुकूल परिस्थिति हैं। ऐसे में यहां प्राकृतिक रूप से इंटीग्रेटेड टूरिस्ट सर्किट बनता है। वल्र्ड हेरिटेज साइट में शामिल करने के लिए भेड़ाघाट बेल्ट सबसे अनुकूल है।
– अनिल तिवारी, पूर्व सदस्य, मप्र पर्यटन विकास निगम

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