जबलपुर

इन्हें सरकारी नौकरी में मिलता है स्पेशल कोटा, जानें बेहतर करियर के लिए क्या करें…

वर्ल्ड स्काउट एंड गाइड डे आज

जबलपुरFeb 22, 2019 / 01:01 am

abhishek dixit

जबलपुर. मानवता की सेवा करने के लिए उठे कदम स्काउट एंड गाइड की ओर ही बढ़ते हैं। दूसरों के दर्द को अपना दर्द समझने और मदद के वक्त आगे रहने के लिए स्काउट एंड गाइड की अहम भूमिका होती है। इसलिए तो सेवाभाव का दूसरा नाम ही स्काउट को कहा जाता है। सन् 1911 में शहर के क्राइस्ट चर्च स्कूल से स्काउट गाइड गल्र्स विंग की शुरुआत की गई थी। पहले इसमें सिर्फ लड़कियों को जगह दी जाती थी, लेकिन फिर धीरे-धीरे बॉयज यूनिट का गठन भी किया जाने लगा।

कॅरियर के लिए अच्छी
स्काउट एंड गाइड बच्चों को सिर्फ अनुशासित और मददगार ही नहीं, बल्कि कॅरियर की नींव तैयार करने का भी मौका देता है। स्काउट एंड गाइड में शामिल रोवर्स को सरकारी नौकरी में भर्ती होने पर भी स्पेशल कोटा दिया जाता है। स्काउट गाइड से जुडऩे के कारण कम उम्र से ही बच्चों को मानवता, देशप्रेम, समाजसेवा और मदद जैसी गतिविधियों से जुडऩे का मौका मिलता है। इसके साथ ही कैम्प जैसी एक्टिविटी में बच्चों को कम व्ययों में जीवन यापन करने की बातों से अवगत करवाया जाता है। वहीं इंटीग्रेशन कैम्प में एक दूसरे राज्यों की परम्परा को समझने का मौका मिलता है।

शहर में स्थिति
– स्काउट एंड गाइड की 80 यूनिट संचालित
– रोवर एंड रेजर्स की 5 यूनिट संचालित
– कब एड बुलबुल की 40 यूनिट संचालित
– बन्ना-बन्नी की 7 यूनिट संचालित

ये सिखाता है स्काउट गाइड
– अनुशासन
– देशप्रेम
– समाजसेवा
– मेल-जोल
– मदद
– कम व्यय में जीवन जीना

स्काउट जीने की कला सिखाता है, जहां कम व्यन में जीवन यापन की सीख मिलती है।
राजेन्द्र कुमार नायक, जिला सचिव, स्काउट एंड गाइड

शहर में प्लांटेशन और अन्य कैम्प बढ़ गए हैं, जो गाइड्स कुछ नया सीखें।
संदीप तिवारी, स्काउट रोवर, एचवीडब्ल्यू

कैम्प के दौरान अब गल्र्स की संख्या बॉयज स्काउट के बराबर ही होती है।
राजेश नामदेव, स्काउट मास्टर, एचवीडब्ल्यू

स्काउटिंग के जरिए खुद के ज्ञान और व्यक्तित्व को समझने में आसानी होती है।
मनोज साहू, स्काउट मास्टर, एचवीडब्ल्यू

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.