news fact- गूगल पर ढूंढ़ा और संस्कारधानी में मदन महल किला देखने पहुंचे युवा
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जबलपुर शहर में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। केवल इन्हें प्रचारित करने की आवश्यकता है। कुछ ऐसा ही हुआ है रविवार को। जब दिल्ली से आए कुछ लोगों को ये पता चला कि जबलपुर में दुनिया का सबसे छोटा किला मौजूद हैं और उसका निर्माण कराने वाली रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस है। तो उन्होंने गूगल की मदद से किले की लोकेशन खोजी और पहुंच गए मदन महल की पहाड़ी पर। जहां का नजारा देखकर वे अपने को कहने से नहीं रोक पाए कि सच में रानी की दुनिया बहुत समृद्ध और वैभवशाली थी।
दरअसल, मदन शाह द्वारा निर्मित मदन महल नष्ट हो चुका है। वर्तमान में जो स्वरूप मौजूद है वह महल के पास बनाया गया वॉच टावर है, जो ऊंचाई पर होने के चलते देखरेख के काम आता था। इतिहास विद बताते हैं कि इस चौकी का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ है। लेकिन आज इसे किला कहकर ही संबोधित किया जाता है।
1740-45 तक मौजूद था महल
इतिहास विद राजकुमार गुप्ता ने बताया कि मदनमहल राजा मदन शाह ने बनवाया था। जो 1740-45 ईस्वी तक मौजूद था। अब केवल अवशेष रह गए हैं, जबकि तीन मंजिला वॉच टावर 14वीं शताब्दी में बनाया गया था। जहां सैनिक रहकर निगरानी करते थे। महल के प्रवेश द्वार के पास बनाए गए इस टावर में एक सुरंग थी, जो जंगल के रास्ते खुलती थी। इसका प्रयोग महल से गुप्त रूप से निकलने के लिए किया जाता था। यह पहाड़ी के नीचे तक बनी थी। इसके अतिरिक्त किले के ऊपरी छोर पर चढऩे के बाद दिखने वाला शहर का मनोरम नजारा बेहद लाजवाब नजर आता है जो कि आकर्षण का केंद्र है।
कैसे पहुंचे
मदनमहल किला पहाडिय़ों पर स्थित है। यहां सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। किले के समीप ही स्थित शारदा मंदिर रोड तक दो पहिया, चार पहिया वाहन पहुंच सकते हैं, लेकिन बांकी रास्ता आपको पैदल ही तय करना होगा। जबलपुर शहर पहुंचने के लिए रेल, सड़क और हवाई तीनों ही मार्ग उपलब्ध हैं।