यह है मामला
आम्बेडकर कॉलोनी अधारताल, जबलपुर निवासी अमित जोशी ने याचिका दायर कर कहा कि उसे माढ़ोताल थाना पुलिस ने विजयनगर के पास जिम में कसरत करते समय बिना वजह उठा लिया। 18-19 अप्रैल 2019 को दो दिन उसे लॉकअप में रखा गया। इस दौरान उसे पीटा गया, करंट लगाया गया। यहां तक कि उसके दोनों हाथ बेकार हो गए। दो दिन बाद उसे प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश किया गया। वहां उसने मारपीट की बात व निशान बताए। इस पर उसकी चिकित्सकीय जांच कराने के निर्देश दिए। लेकिन पुलिस ने नहीं कराई।
परिवाद पेश करने से चिढ़े
जमानत पर रिहा होने के बाद वह मेडिकल कॉलेज में भर्ती हो गया। वहां चिकित्सकों ने बताया कि उसके दोनों हाथ बेकार हो गए हैं। इस पर उसने पुलिस के खिलाफ जिला अदालत में परिवाद पेश कर दिया। इससे चिढकऱ आरक्षक राजेश वर्मा ने माढ़ोताल पुलिस के साथ 29 मई को उससे फिर मारपीट की। एसपी से शिकायत पर सिविल लाइंस थाने में मामला दर्ज किया गया। लेकिन, आरक्षक वर्मा ने मिलीभगत कर अधारताल थाने में जून 2019 में उसके खिलाफ बलात्कार का झूठा प्रकरण दर्ज करवा दिया। अधिवक्ता ओमशंकर विनय पांडे ने तर्क दिया कि मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट के आधार पर आवेदक के दोनो हाथ काम नहीं कर रहे हैं। वह बलात्कार जैसी वारदात को कैसे अंजाम दे सकता है?