जबलपुर

कोरोना योद्धाओँ के लिए इस युवा इंजीनियर ने बनाया ऐसा उपकरण जिससे मिलेगा बेहद आराम

-इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का है छात्र है ये युवा इंजीनियर

जबलपुरAug 13, 2020 / 02:10 pm

Ajay Chaturvedi

युवा इंजीनियर मोहम्मद असद मंसूरी और उसकी खोज

जबलपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहे मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों को जो पीपीई किट दिया जाता है पहनने को उसे पहन कर उन्हें 6-8 घंटे काम करना होता है। इन 6-8 घंटों तक वो इस किट को पहने रहते हैं। पीपीई पहनकर घंटों उसमें रहना बेहद मुश्किल भरा काम होता है। ऊपर से नीचे तक पूरी तरह पैक होने के कारण इसे पहनने वालों को भयंकर गर्मी होती है, जिससे शरीर से निकलने वाला पसीना सूट के अंदर ही रहता है और घंटों उन्हें उसी तरह रहना होता है। इस दौरान वो कुछ खा-पी नहीं सकते। यहां तक कि टॉयलेट तक नहीं जा सकते। इन चिकित्साकर्मियों और डॉक्टरों की इन दिक्कतों को दूर करने के लिए एक युवा इंजीनिर ने ऐसा टूल बनाया है जिसके मार्फत पीपीई किट के अंदर के वातावरण को ठंडा रखा जा सकता है। इस छोटे से उपकरण को लगा देने पर पीपीई किट को पहन कर 5-6 घंटे तक आराम से काम किया जा सकता है। इस आविष्कार को पेटेंट मिल गया है और शासन ने भी इसमें रुचि दिखाई है।
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ट्रेड से बी-टेक कर रहे जबलपुर निवासी मोहम्मद असद मंसूरी ने वेंटिलेटेड पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (वीपीपीई) नामक इस उपकरण के बारे में बताया कि इसे कमर में बांध कर पीपीई किट से जोड़ा जा सकता है। ऐसा करने से यह टूल पीपीई किट को वातानुकूलित बनाए रखेगा। वजन में हल्का होने के कारण इसे घंटों तक इस्तेमाल किया जा सकता है। जिला प्रशासन ने इसकी सराहना करते हुए चिकित्सा विभाग के माध्यम से एक प्रस्ताव इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) को भेजा है। साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इसका प्रेजेंटेशन भेजा गया, जहां से इसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के विचारार्थ प्रेषित किया जा चुका है।
असद को उम्मीद है कि आविष्कार सभी की कसौटी पर खरा और उपयोगी सिद्ध होगा। स्वीकृति मिलने के बाद इसके उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकेगा। असद का कहना है कि इस उपकरण में उन्होंने एरोडायनेमिक्स तकनीक का उपयोग किया है। यह तकनीक रॉकेट के इंजन को ठंडा करने के लिए उपयोग में लाई जाती है। फिलहाल यह प्रोटोटाइप है, जिसे और भी छोटा, हल्का और बेहतर बनाया जा सकेगा, ताकि आसानी से कमर पर बांधा जा सके।
इससे निकलने वाला एक पाइप पीपीई किट के अंदर ठंडी हवा का बहाव करेगा। एक बार चार्ज करने पर मशीन पांच से छह घंटे तक चलेगी। उपकरण को बनाने में 3500 रुपए लागत आई है, जिसे कम किया जा सकता है। असद ने बताया कि इस उपकरण में छह लेयर वाली फिल्टर फ्लापी लगाई गई है, जिसमें से हवा तो पास हो जाएगी, लेकिन कोई भी सूक्ष्मजीव या वायरस इसके पार नहीं जा पाएगा। फिल्टर फ्लापी की कीमत 20 रुपये है। फिल्टर को छह से आठ घंटे में बदलना होगा।
असद ने कॉलेज के अलावा पिता की मोबाइल रिपेयरिंग शॉप का भी लैब के रूप में उपयोग किया और लॉकडाउन के दौरान चार माह में इसका प्रोटोटाइप तैयार कर दिखाया। अब ऑर्डर मिले तो वे एक दिन में 25 मशीनें बना सकते हैं।
ये है खासियत

उपकरण : पीपीई किट को ठंडा करने वाला उपकरण

वजन : 800 ग्राम

तकनीक : एयरोडायनेमिक्स

लागत : 3500 रुपये

पेटेंट : स्वीकृत

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