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पॉली हाउस, ड्रिप इरीगेशन जैसी तकनीक से कदमताल कर युवा किसान बरसात में कर रहे मिश्रित खेती

locationजबलपुरPublished: Jun 27, 2022 09:36:37 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर में मक्का, दलहन, तिलहन, सब्जी, फूल की खेती की ओर किसानों का बढ़ा रुझान
 

FARMING-----इस पद्धति से जहरीले रसायानों से मुक्त होगी खेती, किसानों का बढ़ रहा रुझान

FARMING—–इस पद्धति से जहरीले रसायानों से मुक्त होगी खेती, किसानों का बढ़ रहा रुझान

खरीफ सीजन के दौरान फसलों का रकबा वर्ष 2021 में

-1 लाख 85 हजार हेक्टेयर अनाज (धान,मक्का, कोदो-कुटकी व अन्य)-1 लाख 67 हजार हेक्टेयर धान (अनाज में सबसे ज्यादा)

-42 हजार हेक्टेयर दलहन-2 हेक्टेयर से ज्यादा तिलहन

-225 हजार हेक्टेयर सब्जी-120 एकड़ फूल

खरीफ सीजन में फसलों का रकबा, लक्ष्य 2022 में

-1 लाख 85 हजार हेक्टेयर अनाज (धान,मक्का, कोदो-कुटकी व अन्य)-1 लाख 60 हजार हेक्टेयर धान (अनाज में सबसे ज्यादा)

-46 हजार हेक्टेयर दलहन-3 हेक्टेयर से ज्यादा तिलहन

-250 हेक्टेयर सब्जी-150 एकड़ फूल

जबलपुर। बरसात में धान, सोयाबीन से आच्छादित रहने वाले शहपुरा, पाटन, पनागर, कटंगी और जिले के बाकी इलाकों के खेतों तस्वीर अब बदली नजर आने लगी है। जिले में मक्का, उड़द, मूंग, तुअर से लेकर तिल, मूंगफली, रामतिल, हरी सब्जी और फूलों की खेती हो रही है। खरीफ के सीजन में पारंपरिक खेती के चलन में आ रहे बदलाव के पीछे कृषि विशेषज्ञ युवा किसानों के ड्रिप इरीगेशन, पॉली हाउस, मलचिंग जैसी तकनीक के साथ कदमताल को बड़ा कारण बता रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आधुनिक तरीके से खेती को लेकर किए जा रहे प्रयोग से उन फसलों को भी बरसात में उगाना आसान हो रहा है, जो पहले ज्यादा बारिश होने पर खराब हो जाती थीं। जानकारों का ये भी कहना है कि किसान इस उद्देश्य के साथ भी मिश्रित खेती कर रहे हैं कि मौसम की मार से अगर एक फसल खराब होती है तो दूसरी फसल से उसकी भरपायी हो सके। कम अवधि में निकलने वाली दलहनी फसलों के बीजों की उपलब्धता भी उनकी मददगार हो रही है। जिले में खरीफ की खेती में नए प्रयोगों के पीछे एक बड़ा कारण पंजाब, हरियाणा से आकर बसे किसानों का नवाचार भी बताया जा रहा है।

धान के खेतों में ही जलभरावकृषि विशेषज्ञों के अनुसार किसान केवल उन्हीं खेतों को गहरे रख रहे हैं जिनमें धान की खेती करसी है, जिससे जलभराव हो सके। बाकि खेत जिनमें दलहन, सब्जी की खेती करना है उन्हें ऐसा स्वरूप दे दिया जा रहा है, जिससे की उनमें पानी न भरे।

आधुनिक तकनीकी का ये फायदा-पॉलीहाउस में खेती कर रहे किसान बरसात के दौरान भी शिमला मिर्च, फूल गोभी, पत्ता गोभी जैसी फसलों की खेती कर रहे हैं। वहीं मल्चिंग तकनीक से टमाटर, बैगन की खेती में मदद मिल रही है। इसके अलावा ऊंचे टापू नुमा खेतों में कद्दू, लौकी, तोरई जैसी सब्जी व फूलों की खेती की जा रही है।

 

खरीफ सीजन में धान जिले की प्रमुख फसल रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में मक्का, तिलहन, दलहन, सब्जी की मिश्रित खेती बढ़ी है।

एसके निगम, उप संचालक कृषि विभाग

पढ़-लिखकर खेती कर रहे युवा किसान नई तकनीक के साथ खेती में नए प्रयोग कर रहे हैं, वे बरसात में भी कम अवधि की उड़द, मूंग, तुअर, सब्जी, फूल की खेती कर रहे हैं।

रजनीश दुबे, कृषि विस्तार अधिकारी

बरसात के दिनों में मल्चिंग, पॉलीहाउस जैसी तकनीक के मदद से नर्मदा बेसिन में उपजी हरी मिर्च, शिमला मिर्च से लेकर अन्य हरी सब्जियों की कई राज्यों में आपूर्ति हो रही है। तकनीक का बेहतर उपयोग खरीफ सीजन में भी फसलों के मिश्रित उत्पादन में सबसे बड़ा मददगार हो रहा है।

एसके मिश्रा, उद्यानिकी विशेषज्ञ

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