यह है स्थिति
-05 हजार पेड़ पांच साल में नगर निगम सीमा में काटे
-1500 पेड़ कटंगा ग्वारीघाट मार्ग में काटे
-1400 पेड़ सिविल लाइन क्षेत्र में काटे
-900 पेड़ छोटी लाइन फाटक रोड पर काटे
-800 पेड़ दमोहनाका से पाटन मार्ग में काटे
-600 पेड़ सगड़ा से धुआंधार मार्ग पर काटे
-40 पेड़ हाल ही मदनमहल स्टेशन लिंक रोड पर काट डाले
-125 पेड़ नॉन मोटराइज्ड ट्रेक बनाने के लिए काटने की तैयारी
-06 फीसदी घटी दस साल में हरियाली
-16 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में महज सवा तीन सौ उद्यान
-05 हजार से ज्यादा की आबादी पर एक उद्यान
हाइवे पर भी कटे पेड़
-55 किमी जिले में एनएच 12 की सीमा
-38 गांव जिले शामिल
-5200 से ज्यादा पेड़ काटे गए सड़क के दोनों ओर काटे
-06 हजार कुल पेड़ काटे जाने हैं जिले की सीमा में
-07 साल पहले प्रोजेक्ट की हुई थी शुरुआत
-100 से 150 साल तक पुराने पेड़ काटे गए-कटे हुए पेड़ों की भरपायी के लिए पौधरोपण नहीं
जबलपुर। नर्मदा की वादियों, पहाड़ी और तालाबों की मौजूदगी में बारह माह खुशनुमा अहसास कराने वाला जबलपुर भ_ी में तब्दील हो रहा है। पारा उछाल मार रहा है, सूर्य की तपिश और लू के थपेड़ों से शहरवासियों का बुरा हाल है। एक महीने से तापमान लगातार 42-46 डिग्री सेल्सियस के बीच है। पंखा, कूलर, एसी भी बेअसर हो रहे हैं। पर्यावरणविदें और विशेषज्ञों की मानें तो पेड़ों पर लगातार चली कुल्हाड़ी के कारण हरियाली खत्म हो गई। इस कारण ऐसे हालात बन रहे हैं।
सिमटता गया ग्रीन बेल्ट
पर्यावरणविदें के अनुसार चारों ओर स्थित पहाडिय़ां शहर का ऑक्सीजन टैंक रही हैं। मदनमहल पहाड़ी से लेकर शिमला हिल्स, नीलगिरि पहाड़ी, जीसीएफ स्टेट की पहाड़ी, टनटनिया पहाड़ी, सिद्ध बाबा पहाड़ी, एसएएफ पहाड़ी, अधारताल की पहाड़ी पर स्थित हरियाली के कारण यहां भरी गर्मी में भी ज्यादातर समय तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता था। पहाडिय़ों पर कब्जा होने के साथ ही पेड़ों के लगातार कटने का शहर के पर्यावरण पर असर पड़ा है। सड़कों के चौड़ीकरण के लिए सालों पुराने पेड़ों को बेतहाशा काटा गया। लेकिन उस अनुपात में पौधरोपण नहीं किया गया।
माइक्रो क्लाइमेट प्रभावित
वैज्ञानिकों के अनुसार शहर में वृहद स्तर पर हरियाली होने के साथ यहां बड़ी संख्या में मौजूद ताल-तलैयों की मौजूदगी के कारण तापमान बढऩे पर तेजी से वाष्पन होता था। ऐसे में स्थानीय बादल सक्रिय हो जाते थे। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने पर हल्की बारिश हो जाती थी। जिससे तापमान काफी हद तक नियंत्रित हो जाता था। लेकिन हरियाली का दायरा सिमटने और तालाबों की संख्या लगातार घटने का स्थानीय पर्यावरण पर बुरा असर पड़ा है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये माइक्रो क्लाइमेट प्रभावित हुआ है।
मई में अधिकतम तापमान
तापमान, दिन
-42.5, 1 मई,
-42.2, 2 मई,
-41.8, 3 मई,
-38.0, 4 मई,
-40.1, 5 मई,
-41.8, 6 मई,
-42.8, 7 मई,
-42.8, 8 मई,
-42.4, 9 मई,
-42.9, 10 मई,
-37.6, 11 मई
-41.4, 12 मई,
-41.2, 13 मई,
-40.5,14 मई,
-41.6, 15 मई,
-42.1,16 मई,
-42.0,17 मई,
-40.4,18 मई,
-40.6, 19 मई,
-41.8,20 मई,
-43.8, 21 मई,
-44.4,22 मई,
-44.0,23 मई,
-43.4,24 मई,
-41.7,25 मई,
-43.0,26 मई,
-44.1,27 मई,
-44.4,28 मई,
-43.0,29 मई,
-44.4,30 मई,
-46.8,31 मई