scriptबस्तर में श्रीराम द्वारा स्थापित इस शिवलिंग का जमीन में अबतक नहीं मिला अंत, बढ़ती जा रही लंबाई, 50 सालों से चल रहा शोध | 5000 Year old Mahadev temple established by Lord shree Ram in Bastar | Patrika News

बस्तर में श्रीराम द्वारा स्थापित इस शिवलिंग का जमीन में अबतक नहीं मिला अंत, बढ़ती जा रही लंबाई, 50 सालों से चल रहा शोध

locationजगदलपुरPublished: Oct 09, 2019 02:04:05 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

वनवास के दौरान प्रभु राम ने की थी लिंगेश्वर की स्थापना, परिसर की खोदाई में पुराने ईट, पत्थर और 1860 की घंटी मिली है।

बस्तर में श्रीराम द्वारा स्थापित इस शिवलिंग का जमीन में अबतक नहीं मिला अंत, बढ़ती जा रही लंबाई, 50 सालों से चल रहा शोध

बस्तर में श्रीराम द्वारा स्थापित इस शिवलिंग का जमीन में अबतक नहीं मिला अंत, बढ़ती जा रही लंबाई, 50 सालों से चल रहा शोध

जगदलपुर. जगदलपुर से 10 किमी दूर ग्राम रामपाल में रामायण काल की शिवलिंग स्थापित है। बताया जाता है कि प्रभु श्रीराम वनवास के दौरान यहां पर लिंगेश्वर शिवलिंग की स्थापना की थी। इसकी पुष्टी दिल्ली के श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान के विशेषज्ञों ने की है। यह शोध संस्थान ५० सालों से श्री राम के वनवास पर शोध कर रहे हैं। इसी शोध में यह जानकारी मिली है।

धीरे-धीरे शिवलिंग की लंबाई बढ़ रही है
पंचायत करनपुर के आश्रित ग्राम रामपाल में करीब ३८ धाकड़ ठाकुर के परिवार रहता है। पूरा गांव राम और शिव भगवान की पूजा करता है। यहां स्थित लिंगेश्वर शिव मंदिर कई कविदंतियों, मान्यताओं और दंतकथाओं से जुड़ा हुआ है। यहां के पूजारी अर्जुन सिंह ठाकुर ने बताया कि उनके पुर्वज करीब डेढ़ सौ साल से इस लिंगेश्वर शिव की पूजा करते आ रहे हैं। कैलाश सिंह ठाकुर ने बताया कि खुदाई के दौरान यह शिवलिंग प्राप्त हुई है। जमीन के अंदर खुदाई कराने से शिवलिंग का अंत नहीं मिला। खोदाई के दौरान जमीन के अंदर ऊपरी सतह की अपेक्षा शिवलिंग की मोटाई अधिक पाई गई। आज तक इस शिवलिंग का कोई अंत नही मिला है। मनेर सिंह ठाकुर ने बताया कि बचपन में शिवलिंग का ऊपरी सतह में कुछ गड्ढें थे, जो अब भर गए है। वहीं धीरे-धीरे शिवलिंग की लंबाई भी बढ़ रही है।

बस्तर में इन जगहों पर रहे थे राम
वनवास के दौरान भगवान श्रीराम लंबे समय तक बस्तर में रहे। शोधकर्ता डॉ. राम अवतार ने अपने किताब में बताया कि श्री राम धमतरी से कांकेर पहुंचे। कांकेर में रामपुर जुनवानी, केशकाल घाटी शिव मंदिर, राकस हाड़ा नारायणपुर, चित्रकोट शिव मंदिर, तीरथगढ़ सीता कुंड, कोटि महेश्वर कोटुमसर कांगेर, ओडि़सा मल्कानगिरी, रामारम चिटमिट्टीन मंदिर सुकमा व इंजरम कोंटा में श्रीराम ने वनवास के दिनों में यहां से होकर गुजरे।

बस्तर के दशहरे में फूलरथ की परिक्रमा भी श्रीराम और मां दुर्गा से जुड़ी हुई है
टेंपल कमेटी के उपाध्यक्ष विजय भारत ने बताया कि बस्तर दशहरा भी श्रीराम और मां दुर्गा से जुड़ी हुई है। फूल रथ परिक्रमा से पहले माता का छत्र दंतेश्वरी मंदिर से निकलता है, तो पहले कांकालीन मंदिर में पूजा होती है। फिर जगन्नाथ मंदिर परिसर में मौजूद श्रीराम मंदिर में पूजा होती है। इसके बाद दंतेश्वरी और राम मंदिर के पूजारी टोकरी में फूल लेकर रथ में चढ़ते है। यहां पर पूजा विधान के बाद ही फूलरथ की परिक्रमा होती है।

बस्तर में श्रीराम द्वारा स्थापित इस शिवलिंग का जमीन में अबतक नहीं मिला अंत, बढ़ती जा रही लंबाई, 50 सालों से चल रहा शोध
मंदिर परिसर की खुदाई में मिला 1860 की घंटी
मंदिर के जीर्णोदार के लिए परिसर की खोदाई की गई। इस दौरान पुराने ईट, पत्थर और एक घंटी मिली है। इस घंटी में 1862 और लंदन लिखा हुआ है। शोधकर्ताओं से मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन ब्रिटिश राज्यपाल ने यह घंटी मंदिर में चढ़ाई थी। वहीं पुरातात्वीक विभाग ने ईट और पत्थर का सैंपल लिया है, जिससे यह पता लगाया जाएगा की यह कितना साल पुराना है। राजपूत क्षत्रिय धाकड़ समाज के जिला सहयोजक जगत सिंह ठाकुर ने बताया कि शोध में यह पुष्टी हुई है कि लिंगेश्वर शिवलिंग की स्थापना भगवान राम ने ही की है।
बस्तर में श्रीराम द्वारा स्थापित इस शिवलिंग का जमीन में अबतक नहीं मिला अंत, बढ़ती जा रही लंबाई, 50 सालों से चल रहा शोध
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो