दरअसल पीडि़त बच्ची ६ जुलाई २०१८ को अपने दीदी के घर गई थी। दो दिन बाद पीडि़ता का जीजा उसे वापस घर छोडऩे आ रहा था। इस दौरान रास्तें में पडऩे वाले जंगल में बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के बाद बच्ची को डाराया की यह बात किसी को न बताए। घर पहुंचते ही बच्ची बेहोश हो गई। होश में आने के बाद वह परिजनों को अपने जीजा के करतूतों के बारे में बताई। बच्ची की हालत बिगड़ते देख परिजनों ने तत्काल गांव के पास स्थित अस्पताल में लेकर गए। इलाज के दौरान पीडि़ता का जीजा वहां से फरार हो गया। इसके बाद परिवार के सदस्यों ने आरोपी के खिलाफ थाने में एफआईआर करवाया। पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल करने के बाद १५ जुलाई २०१८ को आरोपी को गिरफ्तार किया। वहीं इस मामले में सुनावाई करते हुए गुरुवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अभिषेक शर्मा ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। पीडि़ता की ओर से इस मामले की पैरवी लोक अभियोजक रेखा यादव ने की।