सिकुड़ता जा रहा कालेज परिसर
संभाग के सबसे बड़े शासकीय पीजी कालेज का क्षेत्रफल जो दो दशक पहले १०० एकड़ का था। वह सिकु ड़ते हुए अब मात्र 30 एकड़ रह गया है। इस कालेज के एक बड़े हिस्से पर इजीनियग महाविद्यालय, पीएमटी छात्रावास बनाया गया है। एक प्रशासनिक अधिकारी ने नवोदय विद्यालय के लिए 10 एकड़ जमीन का उपयोगग कर दिया था। इसके बाद बाकी बचे 25 एकड़ की जमीन पर बस्तर विश्वविद्यालय की अकादमिक और प्रशासनिक गतिविधियों की भेंट चढ़ गई है। यहंा तक कि PHE विभाग ने भी अपना फिल्टर प्लांट व पानी टंकी बनाने इसी कालेज की जमीन का उपयोग कर डाला है। अब प्रेक्षागृह बनने से पीजी कालेज का चित्रकोट मार्ग से दिखाई देने वाला स्वरुप नजर नहीं आएगा।
स्वरूप से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं
एेतिहासिक शिक्षण परिसर के स्वरूप से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। कालेज परिसर में सिर्फ शैक्षणिक गतिविधियों के लिए निर्माण होना चाहिए। भाजपा सरकार के समय भी प्रेक्षागृह की बात उठी थी। जागरुक लोगों से सलाह के बाद इस जगह को टाल दिया गया था। जनता की राय लेकर जगह तय किया जाना चाहिए था। यदि कालेज को चुना जाएगा तो विरोध करेंगे।
जयराम दास, छात्रनेता
जरुरी है पेड़ बचाना
दलपत सागर बचाओ मंच संयोजक संजीव शर्मा ने बताया कि, कालेज परिसर में इससे पहले भी पूर्व कलक्टर अमित कटारिया ने कुछ निर्माण करवाने की बात कही थी। इसमें भ्रष्टाचार की बात उजागर हुई थी। यदि यह आडिटोरियम भी उसी की कड़ी है तो यह गलत कदम है। पर्यावरण को बचाने पौधों के लिए जगह वैसे भी कम है, वहां भी पेड़ को कम नुकसान हो एेसा कदम उठाना चाहिए।
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