आदिवासी परिवारों की वापसी कि लिए बस्तर में काम कर रहे समाजसेवी व सीजीनेट स्वर के संस्थापक सुभ्रांशु चौधरी का कहना है उनकी वापसी के लिए प्रशासनिक कवायद तो की ही जा रही है, साथ ही परंपरा व संस्कृति के मुताबिक ये परिवार अपने कुल देवताओं की पूजा भी जमीन पर वापसी से पहले करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए 12 और 13 जून को पेन पंडूम यानी की कुल देवी-देवताओं को मनाने के लिए सामूहिक प्रयास किया जाएगा।
भरवाया जा रहा एफआरए फार्म
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा ऐसे परिवारों से वन अधिकार कानून के तहत विस्थापन के लिए सर्वे फार्म भी भराने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके तहत तेलंगाना के कुछ इलाकों में आदिवासी परिवारों ने आवेदन लिए हैं। बताया जा रहा है कि ये परिवार सलवा जुडूम के दौरान छत्तीसगढ़ से तेलंगाना चले गए थे।अब वापसी का मन बना रहे हैं।
हाल ही में बस्तर लौटें हैं २४ परिवार
सुकमा जिले के ही मरईगुड़ा इलाके से १३ साल पहले पलायन कर चुके २४ परिवार के लोग वापस लौटें है। इनकी वापसी में यहां काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सुभ्रांशु चौधरी ने अहम भूमिका निभाई थी। अब वे बस्तर से पलायन किए बाकी आदिवासियों की वापसी के लिए लागातर प्रयास कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि वापसी का सिलसिला शुरू हो पाया है।