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पूरी हुई बस्तर दशहरा की अंतिम रस्म, बस्तर के राजा ने लोगों का किया धन्यवाद, और कही ये बड़ी बात

locationजगदलपुरPublished: Oct 10, 2019 04:06:50 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

बस्तर दशहरा की अंतिम रस्म मुरिया दरबार का आयोजन आज सिरहासार भवन में हुआ जहां मांझी चालकी व पटेल मौजूद थे।

पूरी हुई बस्तर दशहरा की अंतिम रस्म, बस्तर के राजा ने लोगों का किया धन्यवाद, और कही ये बड़ी बात

पूरी हुई बस्तर दशहरा की अंतिम रस्म, बस्तर के राजा ने लोगों का किया धन्यवाद, और कही ये बड़ी बात

जगदलपुर. सिरहासार भवन में गुरूवार को बस्तर दशहरा का समापन मुरिया दरबार के साथ किया गया। आचार संहिता के मद्देनजर इस वर्ष फिर मुरिया दरबार केवल औपचारिक आयोजन बन कर रह गया। मुरिया दरबार में मांझी चालकी व मेम्बर-मेम्बरीन शामिल तो हुए, लेकिन अपनी बात प्रशासन के समक्ष नहीं रख सके। हालांकि परंपरा अनुसार राजपरिवार के कमलचंद्र भंजदेव यहां थे। उन्होंने संबोधन करते हुए मांझी चालकी निर्विघ्न बस्तर दशहरा संपन्न होने पर सबको बधाई दी और सभी को धन्यवाद दिया।

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राजा कमलचंद भंजदेव ने दिया धन्यवाद
मांझी, चालकी को संबोधित करते हुए कमलचंद्र भंजदेव ने कहा कि इस वर्ष बारिश की वजह से बस्तर दशहरा में भीड़ कम दर्ज की गई। उन्होंने बताया दशहरा में पिछली बार की तरह इस बार भी मुंबई से अश्वों को मंगाकर उनकी पूजा की गई। आप सभी मांझी, चालकियों ने देवी-देवताओं का ध्यान रखा और पर्व को निर्विघ्न संपन्न करवाने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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पहले के और अभी के मुरिया दरबार में फर्क
रियासत काल में दशहरे के समापन के अवसर पर मुरिया दरबार का आयोजन राजमहल में ही होता था। इसमें गाँव गाँव से आए माँझी, चालकी, पटेल, मेंबर, मेम्बरिन आदि राजा के समक्ष अपनी समस्याओं को रखा करते थे। राजा उन समस्याओं का निदान किया करता था । आज लोकतंत्र के समय में भी यह परंपरा क़ायम है। बदलाव इतना है की यह कार्यक्रम अब लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप होता है जिसमें शासन प्रशासन के नुमाइंदे मौजूद होते हैं । ग्रामीण उन्हें अपनी समस्याएं बताते हैं और उनका निदान करने की जि़म्मेदारी शासन प्रशासन पर होती है। परम्परागत रूप से राजपरिवार का सदस्य भी यहाँ मौजूद होता है।

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