जागरूकता ही बचाव
महारानी अस्पताल एआरटी मुकुंद दीवान प्रभारी ने बताया कि एड्स से बचाव ही उसका उपचार है। इसके लिए समाज में जागरूकता फैलाई जा रही है। एड्स दिवस पर रैली निकालकर, इसका प्रचार-प्रसार किया गया है। असुरक्षित यौन संबंध ही इसका सबसे बड़ा कारण है। शिक्षा, गरीबी व पलायन को रोकने व सामाजिक बंधन से इस पर काबू पाया जा सकता है।
खुलासा होते ही भाग जाते हैं
एआरटी सेंटर में जैसे ही पीडि़त को यह जानकारी होती है कि उसमें एचआईवी के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो अव्वल तो वह वहां से भाग जाता है। फिर पहचान छिपाते हुए दूसरे शहर व राज्यों में अपना उपचार कराता है। इसके अलावा कुछ अवसाद में चले जाते हैं। इलाज से बचते हुए धीरे-धीरे खामोश हो जाते हैं। एआरटी सेंटर सूत्रों ने बताया पहचान छिपाने की वजह से पीडि़त का वास्तविक आंकड़ा बता पाना संभव नहीं।
मजदूरों का अन्यत्र रोजगार के लिए जाना भी बन रहा वजह
काउंसलर्स व एनजीओ की माने तो बस्तर के ग्रामीणों का रोजगार के लिए सीमावर्ती राज्यों में पलायन करते हैं। इनमें अधिकांश एचआईवी के सबसे बड़े वाहक हैं। इनके जरिए असुरक्षित यौनसंपर्क के एचआईवी वायरस एक-दूसरे में फैल रहे हैं। इकसे बाद दो प्रतिशत ब्लड ट्रांसफ्यूजन व गर्भस्थ शिशुओं का इस रोग से पीडि़त होना है।
काउंसलिंग पुरूष – 23367
काउंसलिंग महिला – 12528
एचआईवी पॉजिटिव – 1021