धान खरीदने पर ध्यान, मक्का पर ऐसी बेरुखी कि बाजार में किसान कम रेट पर बेचने मजबूर
- समर्थन मूल्य में मक्का नहीं खरीदना किसानों के साथ अन्याय
- किसान मक्का बाजार में ओने पौने दाम में बेचने को मजबूर

जगदलपुर. हर साल धान खरीदी के साथ मक्का खेती भी शुरू हो जाती है, लेकिन सरकार का ध्यान धान पर ज्यादा है जिसकी वजह से किसान मक्का बाजार में ओने पौने दाम में बेचने को मजबूर है। जिले में समर्थन मूल्य में मक्का नहीं खरीदना बस्तर के किसानों के साथ अन्याय है।
बस्तर के 30 हजार हेक्टयर में शासकीय योजनाओं के तहत मक्का की खेती हो रही है। अच्छी पैदावार के बाद भी बस्तर के किसानों से समर्थन मूल्य 1860 रूपए मूल्य में मक्का की खरीदी अब तक शुरू नहीं हो पाया है। इधर सरकार के गर्म मक्का खरीदी नहीं होने से किसान बाजार में कम दाम में मक्का बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। बाजार में किसानों को प्रति क्विंटल मक्का का दाम 12 सौ से 15 सौ रुपए ही मिल रहा है। जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इधर, जनप्रतिनिधियों व प्रशासन की उदासीनता के चलते मक्का खरीदी केंद्र भी अब तक तय नहीं हो पाया है, जिसके चलते बस्तर के किसानों को समर्थन मूल्य से कम दर पर बिचौलियों को मक्का बेचने विवश हो रहे हैं।शासन-प्रशासन का पूरा ध्यान धान खरीदी में है। इसका खामियाजा मक्का किसानों को उठाना पड़ रहा है।
कोरोना संक्रमण काल में बस्तर के मक्का किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा के अध्यक्ष भरत कश्यप ने कहा है कि यदि जल्द ही सरकार स्थानीय जनप्रतिनिधि व प्रशासन द्वारा सरकारी मूल्य में मक्का खरीदी केंद्र प्रारम्भ नहीं करता है तो बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा किसानों के हित में आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगा।
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