नक्सलियों के दहशत में जीने वाला बस्तर का ये गांव बनेगा जिले का पहला न्यूट्री स्मार्ट विलेज, इस गंभीर बीमारी से मिलेगी निजात
ऑर्गेनिक (Organic) तरीके से Crop production के लिए Villagers को किया जा रहा प्रेरित, ग्रामीण गांव में खुद कर रहे पोषण आहार की व्यवस्था, इससे कुपोषण (Malnutrition) के मामलों में कमी आएगी कमी

जगदलपुर. ऑर्गेनिक और पोषक आहार से बस्तर के आदिवासी दूर होते जा रहे हैं। उन्हें वापस पुराने तरह की खेती-किसानी करने के लिए प्रेरित करने एक प्रोग्राम लांच किया गया है। इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के जोनल हेडक्वार्टर से हुई थी। इसी को आगे बढ़ाते हुए रानसरगीपाल को केवीके बस्तर के वैज्ञानिक न्यूट्री स्मार्ट विलेज के रूप में डेवलप कर रहे हैं।
यहां किसानों के बीच फल, सब्जी और लघु धान्य फसलें जैसे कोदो, कुटकी और रागी के बीज बांटे गए हैं ताकि ग्रामीण ऑर्गेनिक तरीकों को इस्तेमाल करते हुए खुद के लिए पोषण आहार की व्यवस्था करें। रानसरगीपाल जिले का पहला गांव है, जहां इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया है। आने वाले समय में पूरेे जिले में यह योजना शुरू की जाएगी ताकि कुपोषण की समस्या से निपटा जा सके।
कोदो, कुटकी व रागी के लिए कर रहे प्रेरित
कृषि विज्ञान केंद्र बस्तर के वैज्ञानिक धर्मपाल केरकेट्टा बताते हैं कि किसान लघु धान्य फसलों को लेकर उदासीन हैं। उन्हें इसके प्रति जागरूक करने न्यूट्री स्मार्ट विलेज में कोदो, कुटकी और रागी के बीज बांटकर उन्हें इसकी फसल लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस खरीफ सीजन में ३ क्विंटल बीज वितरीत किए गए हैं। उनका कहना है कि कोदो, कुटकी और रागी का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
गांव में ही सब्जी और फल मिलेगा
तोकापाल ब्लॉक के ग्राम रानसरगीपाल में कृषि विज्ञान केंद्र बस्तर और शहीद गुंडाधुर कृषि महाविद्यालय की ओर से न्यूट्री स्मार्ट गांव योजना के तहत पोषण वाटिका एवं लघु धान्य फसलों की खेती के लिए चुना गया है। इस योजना के तहत प्रयास किया जा रहा है कि ग्रामीणों को अपने पोषक आहार के लिए बाहर से खरीदी ना करना पड़े। इसके लिए गांव में ही सब्जी और फल के पैदावार के लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षण देकर बीज वितरित किया गया है।
बस्तर जिले में 24215 अब भी Malnutrited
बस्तर जिले में हर साल बच्चों में कुपोषण (Malnutrition) के मामले बढ़ रहे हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो मालूम होता है कि बस्तर जिलेे के सात ब्लॉक में अति कुपोषित और कुपोषित कुल 24215 बच्चे हैं। अगर न्यूट्री स्मार्ट विलेज का प्रोजेक्ट सफल होता है तो इससे कुपोषण के मामलों में कमी आएगी। राज्य सरकार भी कुपोषण मुक्ति के लिए सभी स्कूलों में पोषण वाटिका का निर्माण अनिवार्य कर चुकी है, ताकि स्कूल आने वाले बच्चों को स्कूल में ही फल और सब्जी उपलब्ध हो सके।
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