scriptबीजापुर मुठभेड़: जवान ने कहा- नक्सली देशद्रोही है.., मौत के बाद उनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य | Bijapur encounter: Jawan says respect dead body of Naxals | Patrika News

बीजापुर मुठभेड़: जवान ने कहा- नक्सली देशद्रोही है.., मौत के बाद उनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य

locationजगदलपुरPublished: Feb 09, 2019 04:57:01 pm

ऑपरेशन में एक टुकड़ी को लीड़ कर रहे यमन देवांगन की जुबानी…

CG News

नक्सली देशद्रोही है.. लोकतंत्र पर विश्वास ही नहीं, लेकिन मौत के बाद उनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य

जगदलपुर. बीजापुर डीआरजी में पदस्थ उपनिरीक्षक यमन देवांगन माड़ में चलाए गए माओवादी विरोधी अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। जब कैम्प पर हमले से पहले जवानों की टीम को दो टुकडिय़ों में बांटा गया तो एक टुकड़ी की कमान यमन को सौंपी गई थी।
हम सभी जानते हैं कि नक्सली देशद्रोही है, राजद्रोही है और लोकतंत्र पर विश्वास नहीं करते हैं। लेकिन वे भी इंसान है। इसलिए मौत के बाद उनका सम्मान करना हमारा भी कर्तव्य है। यही वजह है कि मुठभेड़ के बाद मारे गए नक्सलियों के शवों को हम अपने कंधों पर लादकर कई किमी घनघोर जंगल और पहाडिय़ों का सफर तय कर अस्पताल तक ला पाते हैं। ताकि शवों का अंतिम संस्कार उनके परिजन कर सके। यह कहना था इस मुठभेड़ में शामिल डीआरजी कमांडर यमन देवांगन का।

आमने-सामने की लड़ाई में नहीं देखी जाती इंसानियत

यमन देवांगन मुठभेड़ में शामिल जवानों की दूसरी टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। यमन का कहते हैं कि युद्ध व आमने – सामने की लड़ाई में इंसान और इंसानियत नहीं देखी जाती। आगे वाला माओवादी हो, आतंकवादी हो या आम इंसान हो जब हम पर हमला करता है तो हमें आत्मरक्षार्थ गोलियां चलानी पड़ती है। यह युद्ध की नीति है। लेकिन इस युद्ध में दुश्मन मारा जाता है तो उसके शव उसका सम्मान करना भी हमारा कर्तव्य है।
यमन ने बताया कि सूचना के आधार पर उनकी टीम घुप्प अंधेरे में इंद्रावती नदी को पार कर अबूझमाड़ के ऐसे घने जंगल में प्रवेश कर चुकी थी जिसकी भौगोलिक स्थिति के बारे में वे ना तो परिचित थे और ना ही उनके पास रास्तों की कोई जानकारी थी। ऐसे में उस कैम्प तक पहुंचना जहां माओवादी युवाओं को युद्ध की ट्रेनिंग दे रहे थे। यह स्थिति बेहद ही चुनौतीपूर्ण थी। बावजूद वे उस टे्रनिंग कैम्प तक पहुंच गए।

ढाई घंटे तक चले मुठभेड़ में 10 नक्सली मारे गए…
ट्रेनिंग करते नक्सली चिल्ला रहे थे। उन्हें यह बात समझ आ गई और वे उस ओर आगे बढ़े। वे इतने करीब पहुंच गए थे कि कैंप में गुरिल्ला वॉर प्रशिक्षण की ट्रेनिंग करते नक्सलियों को साफ देख रहे थे। लेकिन इसी दौरान नक्सलियों के संतरी ने उन्हें देख लिया और आईईडी ब्लास्ट कर दिया। इसके बाद करीब ढाई घंटे तक चले मुठभेड़ में उनकी दोनों टुकडिय़ों ने मिलकर दस नक्सलियों को ढेर कर दिया।

नक्सलियों का शव ससम्मान बीजापुर लाया गया..
लड़ाई यहां खत्म हो चुकी थी, लेकिन अब सबसे बड़ी लड़ाई थी मारे गए मारे नक्सलियों का शव ससम्मान बीजापुर पहुंचाने की। उन्होंने सभी दस माओवादियों के शव को कंधे पर लादा और उफनती नदी में उतर गए। खतरे पर बहाद्दूरी जीत हुई और देखते ही देखते जवान शवों को लेकर नदी पार कर गए। इस तरह वे करीब 16 किमी शवों को कांधे पर लेकर चले। इसके बाद वाहन में उन्हें डालकर भैरमगढ़ तक लाया गया।

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