पार्क के डायरेक्टर धम्मशील गणवीर ने कहा कि पिछले वर्ष भी पक्षियों का अध्ययन किया गया था जिसमें 201 पक्षियों की प्रजातियां की पहचान की गई थी, जिसमें पहाड़ी मैना, ब्लैक हुडेड ओरियोल, भृंगराज, जंगली मुर्गी, कठफोड़वा, रैकेट टेल, सरपेंटाईगर आदि शामिल हैं। इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो रहा है कि राष्ट्रीय उद्यान पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। और देश के पक्षी प्रेमियों के लिए एक बर्डिंग हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहा है। इस सर्वे से राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न पक्षियों के प्रजातियां की पहचान के साथ-साथ विशिष्ट पक्षियों के प्रजातियों के आपसी संबंध और रहवास के बारे में जानकारी प्राप्त होगी जिससे हमें आगे पक्षियों के संरक्षण योजना में मदद मिलेगी।
देश के कोने-कोने से आ रहे विशेषज्ञ व रिसर्चर
उद्यान के डायरेक्टर धम्मशील गणवीर ने बताया कि इस पक्षी सर्वे में छत्तीसगढ़ के साथ ही पश्चिम बंगाल, महारष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान से 70 से भी अधिक पक्षी विशेषज्ञ, रिसर्चर व वालंटियर शामिल हो रहे हैं। सभी कांगेर घाटी के अंतर्गत पक्षी अध्ययन के लिए अपना योगदान देंगे।
मैना मित्र है खास, पक्षियों के संरक्षण में करते हैं मदद
पार्क में मैना मित्र योजना संचालित है। जिसमें स्थानीय युवा और गांव के सदस्य पक्षियों के संरक्षण में सक्रिय रूप से भागीदारी दे रहे हैं। इसके अलावा इको विकास समिति के सदस्य भी सहयोग प्रदान कर रहे हैं, जिससे सामुदायिक सहयोग के साथ प्राकृतिक संरक्षण में सुधार हो रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना अब राष्ट्रीय उद्यान से लगे 15 से अधिक ग्रामों में दिखाई देने लगी है। मैना मित्रों की वजह से ही यह संभव हो पाया है