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बस्तरिया आदिवासियों के जबड़े से गायब हो रही है अकल दाढ़, होगी दिक्कत

locationजगदलपुरPublished: Jan 31, 2019 03:55:22 pm

इसका असर यह हुआ कि अब इन आदिवासी किशोरों व युवाओं के जबड़े में से दाढ़(मोलर) गायब होने लगी है।

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बस्तरिया आदिवासियों के जबड़े से गायब हो रही है अकल दाढ़, होगी दिक्कत

अजय श्रीवास्तव@जगदलपुर. ब्रेड, केक, नूडल्स जैसे जंक फूड खाने का असर बस्तरिया आदिवासियों की जीवन शैली को भी प्रभावित कर रहा है। इसका असर यह हुआ कि अब इन आदिवासी किशोरों व युवाओं के जबड़े में से दाढ़(मोलर) गायब होने लगी है।
यह जानकारी बस्तर विश्वविद्यालय के मानव विज्ञानी डॉ. सपन कुमार कोले व बलीराम कश्यप स्मृति मेडिकल कालेज के शोधार्थी व एनाटॉमी से जुड़े डॉ. रविकुमार ने अपने शोध में जुटाई है। शोधार्थियों ने पाया कि किशोर व युवा वय में उग आने वाले (मोलर) दाढ़ या तो नहीं उग रहे हैं या फिर इनके उगने की संभावना ही खत्म होने लगी है। मानव के जबड़े में इनकी संख्या 12 तक होती है। इससे होगा यह कि दांतों की संख्या 24 से भी कम हो जाएगी। मानव के चेहरे का आकार परिवर्तित हो जाएगा। कडी चीजों को खा पाना मुश्किल हो जाएगा। दांतों की पकड़ भी ढीली हो जाएगी।

इतने होते हैं दांत
एक वयस्क के मुंह में आमतौर पर 32 दांत होते हैं। इनमें 8 इंसाइजर, 4 केनाइन, 8 प्री मोलर व 12 मोलर होते हैं, जिन्हें दाढ़ कहा जाता है। बेहद कड़ी चीजों को चबाने यह काम आते हैं।

इसलिए यह हो रहा है
मानव विज्ञानी डॉ. सपन कुमार कोले ने बताया कि इसकी जानकारी उन्हें एक जाने माने डेंटिस्ट ने दी थी। इसके बाद इस ओर उनका ध्यान गया। खान-पान, परिवेश, संस्कृति के दायरे में रखकर इसका अध्ययन किया जा रहा है। उनका कहना है लिजलिजे व बेहद नर्म खानपान की वजह से मोरल का उपयोग न के बराबर हो रहा है। प्रकृति इस पर नजर रखती है, जिस अंग का इस्तेमाल कम होता है धीमे धीमे वह उसे अनुपयोगी बना देती है और उसका अस्तित्व खत्म हो जाता है। मानव की आंत में अपेंडिक्स, पूँछ का नहंी पाया जाना इसका उदाहरण है। इसी तरह यदि कच्चे व कड़े चीजों को खाने की प्रवृत्ति दूर हो जाएगी तो हमारे मोरल हमसे दूर चले जाएंगे।

छीनी जा रही है दाढ़
इंसानों में तीन साल की शिशु अवस्था से ही दांत उग जाते हैं। इसके बाद 7-8 साल में ये टूटने लगते हैं, इन्हें दूध के दांत का टूटना कहा जाता है। इसके बाद पक्के दांत आते हैं। सबसे आखिर में 17-18 वर्ष कि किशोरावस्था या युवाओं में जबड़े के आखिरी छोर पर मोलर उगने लगते हैं। बुजुर्ग इन्हें अकल दाढ़ की संज्ञा भी देते हैं। आधुनिक जीवन शैली यही अक्ल दाढ़ अब हमसे छीन रही है।

अभी प्राइमरी डाटा मिला है
मोरल के डिजनरेशन को लेकर शोध जारी है। इसमें बस्तर के ट्राइबल व सामान्य वर्ग दोनों को ही शामिल किया गया है। स्कूल के 11 वीं व 12 वीं के विद्यार्थियों से सैंपल जमा किए गए हैं। प्राइमरी डाटा में भी यह प्रमाण मिला है कि मोलर नहीं उग रहे हैं।
डा. रविकुमार, शोधार्थी, एनाटामी विभाग, मेडिकल कालेज जगदलपुर

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