लाइसेंस था कालातीन चल रहा था लेैब: डा चिखलीकर स्कैन एंड रिसर्च सेंटर का लाइसेंस वर्ष 2019 में ही कालातीत हो गया था। इसके बाद से इस लार्ज पैथालाजी लैब के संचालक इसे बिना किसी वैध् अनुमति के संचालित किए जा रहे थे। आखिकार जब इनकी शिकायत हुई जब जाकर विभाग ने यह कार्रवाई करने की जहमत उठाई।
नर्सिंग होम एक्ट का हवाला देकर नवीनीकरण किया रद्द:
साल 2019 से लगातार बिना लाइसेंस के चल रहे इस लैब के जरिए रोजाना सैकड़ों मरीजों को रिपोर्ट जारी कर दी गई है। शिकायत के बाद भी लैब संचालक बेखौफ इस लेब का संचालन किए जा रहे थे। जब मामले ने तुल पकड़ा तो लैब के संचालक डा अविनाश चिखलीकर ने अपने लैब संचालन के लाइसेंस के नवीनीकरण का लाइसेंस प्रस्तुत किया। इसके उपरांत जांच हुई व इस लैब में छग नर्सिंग होम एक्ट के तहत फायर सेफ्टी नार्मस नहीं पाए जाने की बात को ग्ंभीरता से लेते इस का नवीनीकरण रद्द कर दिया गया।
सामाजक संगठन भी आए आगे: डा चिखलीकर स्कैन व रिसर्च सेंटर के खिलाफ पत्रिका की जारी मुहिम को सामाजिक, राजनैतिक व अन्य समंगठनों का भरपूर समर्थन मिला। इसे लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो के संभागीय अध्यक्ष व बस्तर मुक्ति मोर्चा व जनता कांग्रेस ने भी कमिश्नर, कलेक्टर, स्वास्थ्य संचालक व स्वास्थ्य मंत्री तक से शिकायत की थी।