सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात
गुरु घासीदास सतनामी समाज के आराध्य हैं। उनका जन्म 1756 में बलौदाबाजार के गिरौदपुरी में हुआ था। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया, जिसका असर आज तक दिखाई देता है। उनकी जयंती के अवसर पर हर साल रायपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में कई भव्य आयोजन किए जाते हैं।
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समरसता का संदेश
गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में छुआछूत, ऊंचनीच, झूठ-कपट व्याप्त था। ऐसे समय में गुरु घासीदास ने समाज को एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश सिखाया। घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था के कारण ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा।