2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने रिकॉर्ड बहुमत हासिल किया था। कांग्रेस ने 44 सीटों के साथ अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया था। मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने 282 सीटें पाकर अपने दम पर बहुमत पा लिया था। क्षेत्रीय पार्टियों में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और ओड़िशा में नवीन पटनायक का बीजू जनता दल ही मोदी लहर के असर से बेअसर रह पाई थीं।
2014 से 2018 के बीच कई राज्यों की विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। गुजरात जैसे राज्य में भी बीजेपी की जीत आसान नहीं थी। कई सहयोगी दलों ने भी एनडीए का साथ छोड़ दिया और बहुतों के साथ मतभेद बना हुआ है।
दूसरी ओर, राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ। 2018 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से बीजेपी को बेदखल कर कांग्रेस ने सत्ता संभाली। इस जीत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरी और 2019 चुनावों को लेकर उम्मीदों का संचार किया। इस बीच, राहुल गांधी ने बहन प्रियंका को भी राजनीति मेंं औपचारिक दाखिला दिला दिया। उन्होंने उन्हें महासचिव बना कर पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी।
2019 के लोकसभा चुनाव (Lok sabha election 2019) में सपा (SP) और बसपा (BSP) को भी एक होते देखा। उत्तर प्रदेश में ये देनों पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ रही हैं। इनके साथ अजित सिंह का राष्ट्रीय लोक दल भी है। कांग्रेस इस गठबंधन से बाहर है।