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कोरोना संक्रमण के चलते इन ग्रामीणों की पेंशन न बन जाए टेंशन, जानिए क्या है पूरा मामला

locationजगदलपुरPublished: May 13, 2020 03:08:58 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

कोराना संक्रमण में इन्हें सबसे अधिक सुरक्षित रखने के प्रयास ठप

कोरोना संक्रमण के चलते इन ग्रामीणों की पेंशन न बन जाए टेंशन, जानिए क्या है पूरा मामला

कोरोना संक्रमण के चलते इन ग्रामीणों की पेंशन न बन जाए टेंशन, जानिए क्या है पूरा मामला

जगदलपुर. कोरोनाकाल में पीएम से लेकर सीएम तक ने बुजुर्गों का ख्याल तो रखने की बात कही। लेकिन इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया। यही वजह है कि तीन सौ से 500 रुपए पेंशन के लिए गांव के बुजुर्गों को तपनी धूप में आठ किमी तक का सफर तय करना पड़ रहा है।

यह नजारा नियानार में नजर आया। यहां 37 डिग्री की तपती धूप में कुछ बुजुर्ग नंगे पैर चले जा रहे। पूछने पर बताया कि वे अपना पेंशन लेने आए हैं। इन बुजुर्गों का संघर्ष यहीं कम नहीं हुआ। यहां पहले से ही इनसे भी अधिक उम्र के लोग लाइन लगाकर खड़े हैं। सभी अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। यहां सोशल डिस्टेसिंग का ख्याल रखने के लिए गोल घेरे तैयार किए गए थे। जिसकी वजह से लाइन और भी लंबी हो गई थी। दिनभर इंतजार के बाद नंबर आया। लॉकडाउन में बंद पड़े काम के बीच परिवार की मदद के लिए कम ही सहीं लेकिन कुछ पैसे पाने के बाद फिर से वे वापस घर के लिए अपने सफर पर निकल पड़े।
पेंशनधारियों ने बताया कि बताया कि लॉकडाउन में बच्चों का काम बंद हो गया। राशन मिल भी जाए तो अन्य सामान के लिए पैसे तो लगेंगे ही। इसके लिए व्यवस्था तैयार करनी चाहिए थी। यहां पेंशन पाने कोई बुजुर्ग महिला अपनी पोती को साथ लाई तो कोई पुत्रवधू को। इस कारण वे इनके साथ ही रहे और इनके पास ही बैठे। पूछने पर बताया कि उम्र ज्यादा है ऐसे में उनको चलने में सहारा देने से लेकर उनकी मदद के लिए आए हुए हैं।

बैंक मैनेजर ने कहा 600 से अधिक पेंशनधारी, रोज बुजुर्ग लगाते हैं लाइन
नियानार बैंक मैनेजर मनीष खुजूर ने बताया कि यहां 600 से अधिक पेंशनधारी हैं। रोजाना यहां बुजुर्गों की लाइन लगती है। शासन प्रशासन की तरफ से इनके घर पहुंचाकर पेंशन देने जैसा कोई आदेश नहीं है। कोरोनाकाल में सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए बैंक के अंदर इन्हें नहीं आने दिया जा रहा है। जिस व्यक्ति का नंबर आता है उसे ही अंदर आकर पेंशन लेने दिया जाता है। वहीं बाहर भी गोल घेरा बनाया गया हैए ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो।

मजबूरी बताई और कहा कोरोना काल में घर पहुंच पेंशन सुविधा दें सरकार
बुजुर्ग बैजनाथ ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने दो महीने का राशन दे दिया। इससे काफी मदद हुई। लेकिन सिर्फ चंावल खाकर तो नहीं रह सकते। अन्य सामान भी चाहिए। जिसके लिए पैसे लगेंगे। इसलिए पेंशन का पैसा निकालने के लिए इतने दूर से आए हैं।

खतरा जानते हुए भी पैसे के लिए इतने दूर आया
श्रीनाथ ने बताया कि बेटा दो महीने से काम पर नहीं गया, पैसे भी नहीं मिले हैं; लॉकडाउन की वजह से बेटा दो महीने से काम पर नहीं गया। जो बचत थी वह खत्म हो गई। काम नहीं है तो पैसे भी नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अब पेंशन के पैसे का ही सहारा है। इसलिए खतरा जानते हुए भी पैसे के लिए इतने दूर आया हूं।

इस पैसे से कुछ राहत जरूर मिल जाएगी
हरीचंद ने बताया कि घर के लोग मजदूरी करते हैं। लंबे समय से काम नहीं मिल रहा है। पैसे भी आने बंद हो गए। अब कोरोना से मरने से पहले भूख से न मर जाएं इसलिए खतरे के जानते हुए पेंशन लेने के लिए घर से बाहर आए हैं। सरकार को कुछ व्यवस्था करनी चाहिए।

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