एकाउंट सेक्शन के बाबू ही ऑफिस पहुंचते हैं
शासन के आदेश के अनुसार कम से कम कर्मचारियों को आफिस से काम लिया जाना है। इसके चलते ही यहां पर अधिकतर कर्मचारियों की ड्यटी क्वारंटाईन सेंटर व राहत शिविर में लगा दी गई है। कलेक्टोरेट कार्यालय के कम्पोजिट बिल्डिंग में स्थित श्रम विभाग के दो इंस्पेक्टर और दो सब इंस्पेक्टर क्वारंटाईन सेंटरों का जायजा लेने फील्ड वर्क करते हैं। श्रम पदाधिकारी बीएस बरिहा तोकापाल के नोडल अधिकारी हैं, वह दिन का आधा समय फील्ड पर ही रहते हैं इस दौरान वे आफिस से आनलाइन अटैच रहते हैं। एकाउंट सेक्शन के बाबू ही ऑफिस पहुंचते हैं अन्य बाबूओं को जरूरत पडऩे पर ही कार्यालय बुलाया जाता है। दो माह के लंबे लॉकडाउन के बाद कर्मचारियों ने घर पर ही काम करने की आदत डाल ली है। पहले केवल कार्यालय में ही काम किया जाता था और परिवार के साथ घर पर समय बिताया जाता था लेकिन कोरोना काल में लोग परिवार के बीच उनके साथ रहकर भी ऑफिस का काम कर रहे हैं।
व्हाट्सअपए ईमेल और टेलीग्राम में कर रहे काम
श्रम विभाग के एकाउंटेंट नितेश महंत बताते हैं कि श्रमिकों की योजनाओं और संख्याओं सहित मुख्यालय से मांगी गई जानकारी घर पर भी तैयार करने के बाद ईमेल के माध्यम से भेज दिया जाता है। फील्ड रिपोर्ट और काम से संबंधित जानकारी स्टाफ से व्हाट्सअप, ईमेल और टेलीग्राम के माध्यम से ली जाती है।
कार्यालय में अधिकारी के साथ 11 स्टाफ
श्रम विभाग में कुल नौ स्टाफ हैं। जिसमें श्रमपदाधिकारी, दो इंस्पेक्टर, दो सब इंस्पेक्टर, क्लर्क, दो बाबू और तीन प्यून हैं। कोरोना वायरस के बाद ऑफिस में एक तिहाई स्टाफ पहुंचते हैं।
कागज और बिजली की खपत हुई कम
लॉकडाउन के बाद घर से कार्यालय में कागज की खपत और बिजली की खपत कम हुई है। कागज की खपत पहले से आधी हो रही है। प्रिंट आउट निकालने के बजाए जानकारी और फाइल सीधे व्हाट्सअप पर भेज दी जाती है। प्रिटर ए फोटोकॉपी मशीन का उपयोग कम हुआ है। वहीं कार्यालय में अन्य स्टाफ नही होने पर लाइट और पंखे बंद रहने से बिजली की खपत भी कम हुई है।