जनवरी से अब तक हेड इंजरी के 312 मरीज रेफर
दरअसल मेडिकल कॉलेज में न्यूरोलॉजिस्ट ही नहीं है। ऐसे में हेड इंजरी के मरीजों को सीधे रायपुर रेफर कर दिया जाता है। जबकि गंभीर मरीजों की मौके पर ही मौत हो जाती है। मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद बस्तरवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है। जगदलपुर में 8 सालों से मेडिकल कॉलेज संचालित हो रही है। यहां पर न्यूरोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण जनवरी से अब तक हेड इंजरी के 312 मरीजों को रेफर कर चुके हैं। पूरे बस्तर संभाग में न्यूरोलॉजिस्ट नहीं है। इससे रेफर मरीजों को सीधे रायपुर मेडिकल कॉलेज लेकर जाना पड़ता है। यहां से रायपुर तक की दूरी करीब 300 किमी है। ऐसे में गंभीर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। मेडिकल कॉलेज में करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद यहां पर स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर खानापूर्ति ही किया जा रहा है।
हर साल बढ़ रही मृतकों की संख्या
बस्तर में हर साल हेड इंजरी से मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2018 जनवरी से दिसंबर तक करीब 81 लोगों की मौत हुई हैं। वहीं 2019 जनवरी से अक्टूबर तक लगभग 133 लोगों की मौत हुई है। मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इसमें ज्यादातर हैड इंज्यूरी के मामले सडक़ दुर्घटना की वजह से बढ़ रहा है। मेडिकल कॉलेज में एक भी सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है। यहां पर न्यूरोलॉजिस्ट के अलावा कार्डियोलॉजिस्ट और नेफ्ररोलॉजिस्ट भी नहीं है। ऐसे में हदय रोग और किडनी रोग से संबंधित मरीजों को भी इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है। हालही में रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर की भर्ती होने पर सीटी स्कैन और सोनोग्राफी की सुविधा मिल पा रही है।
नेफ्ररोलॉजिस्ट पद ही स्वीकृत नहीं
मेडिकल कॉलेज में न्यूरोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट व नेफ्ररोलॉजिस्ट पद ही स्वीकृत नहीं है। मरीजों की सुवधिा के लिए प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सेवा योजना के तहत मेडिकल कॉलेज के सामने सुपरस्पेशलिस्ट हॉस्पिटल का निर्माण किया जा रहा है। हॉस्पिटल तैयार होने के बाद यहां पर मरीजोंं को सभी प्रकार की सुविधा मिलेगी।