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समर्पित नक्सलियों ने कहा- पर्चा फर्जी एरिया कमेटी नीतिगत फैसले नहीं लेती

locationजगदलपुरPublished: Feb 01, 2019 11:08:39 am

Submitted by:

Deepak Sahu

नक्सलियों ने बस्तर में स्कूल, आश्रम और अस्पताल की मांग करते हुए यहां शिक्षक और डॉक्टर की नियुक्ति की बात कही है।

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समर्पित नक्सलियों ने कहा- पर्चा फर्जी एरिया कमेटी नीतिगत फैसले नहीं लेती

जगदलपुर. नक्सलियों ने बस्तर में स्कूल, आश्रम और अस्पताल की मांग करते हुए यहां शिक्षक और डॉक्टर की नियुक्ति की बात कही है। साथ ही हथियारबंद जवानों को बस्तर से बाहर भेजने और कैंपों को भी हटाने, शिक्षाकर्मियों के संविलियन की मांग भी की है।
इतना ही नहीं उन्होंने जेल में बंद अपने साथियों और आदिवासियों को छोडऩे के साथ इस मामले की न्यायिक जांच समेत सरकार के सामने 17 सूत्रीय मांगे रखीं है। लेकिन बुधवार को पामेड़ एरिया कमेटी की ओर से पर्चे के जारी होने के साथ ही इसके फर्जी होने का अंदेशा भी जताया जा रहा है। बीजापुर में सक्रिय रहे समर्पित नक्सली सरगना बदरन्ना ने इस बारे में पत्रिका से चर्चा में कहा कि इस तरह के पर्चे जारी करने का किसी भी एरिया कमेटी को हक नहीं है। इस तरह के फैसले डिवीजनल कमेटी या सेंट्रल कमेटी ही ले सकती है। एरिया कमेटी का काम अपने एरिया में होने वाले गतिविधियों पर सुझाव देने तक ही सीमित है।
वह भी डिवीजनल या सीसी मेंबर को। चूंकि पामेड़ एरिया के इस बयान में सरकार का ध्यान व्यापक मुद्दों पर दिलाया गया है। यह एरिया कमेटी के शक्ति से बाहर है। इसके साथ ही बस्तर में माओवादियों ने कभी भी शिक्षा न ही स्वास्थ्य सुविधाओं का विरोध किया है। वे इलाके में विकास करने की बात कहते रहे हैं लेकिन यह सडक़ और पुलिस की मौजूदगी के बिना। साथ ही वे कहते हैं कि इन तत्वों के कारण इलाके के विकास का स्वतंत्र तरीके से स्थानीय आदिवासी प्रयोग नहीं कर सकेंगे। साथ ही सडक़ निर्माण करने के लिए सरकार पेड़ काटेगी, जो उन्हें मंजूर नहीं।
शक की यह है वजह
दरअसल माओवादी इस तरह के मामले की विज्ञप्ति लैटरहेड में जारी करते हैं। वह भी संगठन के प्रवक्ता के माध्यम से। वहीं पत्र में जिस तरह शुद्ध हिंदी का इस्तेमाल किया गया है, उससे भी इस पर संदेह पैदा हो रहा है। आमतौर पर माओवादियों के बयान में हिंदी भाषा के व्याकरण की खासी गलतियां होती हैं, लेकिन ताजे बयान में ऐसा नहीं है।

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