मंदिर के पुजारी रामचन्द्र रथ ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर में मां सरस्वती के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे है। विद्यार्थी इस दिन कापी किताब से लेकर कलम माता को चढ़ाते नजर आए। मां सरस्वती के दर्शन का यह सिलसिला रात 10 बजे तक चलता रहा। बसंत पंचमी के दिन ज्ञान-विज्ञान, कला, संगीत और शिल्प की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। हिंदी कैलेंडर के हिसाब से बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ मास में शुक्ल पक्ष की बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है।
मैत्री संघ समाज ने धूम-धाम से बसंत पंचमी मैत्री संघ भवन में मनाई। समाज की सभी महिलाए पीले वस्त्र पहनकर पूजा में शामिल हुई। समाज के सभी बच्चें अपने कितोबों के साथ पहुंचकर माता सरस्वती के विद्या देने की प्राथना करते नजर आए। कार्यक्रम सुबह 10 बजे से शुरू होई। सबसे पहले सभी श्रद्धालुओं ने मिलकर पूष्पाजंली की। इसके बाद हवन किया गया जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने अपने अंदर की सभी बुराई को हटाते हुए मीठी वाणी मांगी। पूजा के बाद समाज के बच्चों के लिए खेल का भी आयोजन किया गया। चम्मच दौड़, कुर्सी दौड़ जैसी प्रतियोगिता में सभी बच्चे मस्ती करते नजर आए। इस दौरान द्रिशान चक्रवर्ती, राजा चक्रवर्ती, हेमंत सिहं, सुबीर शाह, रंजीता कौर, खुशबु राठी, कौमदी तीवारी सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद रहे।
धरमपुरा मार्ग स्थित गायत्री शक्तिपीठ में सोमवार को मां सरस्वती की पुजा कर बसंत पंचमी मनाई गई। मंदिर में 5 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ किया गया। बसंत पचंमी गायत्री परिवार की ओर से आध्यात्मिक जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पंडित राम शर्मा आर्चाय को उनके गुरू से साक्षात्कार हुआ था। मां सरस्वती की पूजा विद्या, कला, वाणी, गुणवान, चरित्रवान बनने के लिए किया जाता है।