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गोलियों की गूंज के बीच कैमरामैन अपनी मां से बोला – मौत सामने है, मैं शायद ही मिल पाऊं

locationजगदलपुरPublished: Nov 01, 2018 01:07:52 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में अरनपुर के नीलावाया के जंगल में दो दिन पहले 29 अक्टूबर को माओवादी हमले में दूरदर्शन के एक पत्रकार की मौत हुई थी।

Dantewada Naxal Attack

गोलियों की गूंज के बीच कैमरामैन अपनी मां से बोला – मौत सामने है, मैं शायद ही मिल पाऊं

जगदलपुर. बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में अरनपुर के नीलावाया के जंगल में दो दिन पहले 29 अक्टूबर को माओवादी हमले में दूरदर्शन के एक पत्रकार की मौत हुई थी। इसी हमले में फंसे दूरदर्शन के ही असिस्टेंट कैमरामैन का वीडियो मैसेज वायरल हो रहा है।
इसमें माओवादियों के हमले के बीच जमीन पर लेटकर कैमरामैन मोर मुकुट शर्मा न केवल वीडियो रिकॉर्ड कर रहे हैं, बल्कि सिर पर खड़ी मौत के बीच मां से यह भी कह रहे हैं कि चारों ओर गोलियों की बारिश हो रही है, अब मैं शायद ही मिल पाऊं। दूरदर्शन के कैमरामैन मोर मुकुट शर्मा को बाद में जवानों ने बचा लिया। छत्तीसगढ़ चुनाव के कवरेज के लिए नई दिल्ली से दूरदर्शन की एक टीम बस्तर पहुंची हुई थी।
यह टीम जवानों की एक टोली के साथ दंतेवाड़ा के माओवाद प्रभावित इलाके से गुजर रही थी कि तभी माओवादियों ने हमला बोल दिया। एक तरफ जवान माओवादियों से मोर्चा लेने में जुट गए, वहीं मोरमुकुट समेत दूरदर्शन के दोनों कैमरामैन दायित्व का निर्वाह करते हुए पूरे मामले को शूट करने लगे। इस बीच पेड़ के पीछे खड़े कैमरामैन अच्युतानंद साहू को गोली लगी और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।

यह है वायरल वीडियो में
आतंकवादी हमला हो गया है… हम दंतेवाड़ा में आए थे इलेक्शन कवरेज पर। इस रास्ते जा रहे थे…आर्मी हमारे साथ थी… अचानक माओवादियों ने घेर लिया। मम्म्मी अगर मैं जीवित बचा… मम्मी मैं तुझे बहुत प्यार करता हूं। हो सकता है मैं इस हमले में मारा जाऊं। परिस्थिति सही नहीं है। पता नहीं क्यों मौत को सामने देखते हुए डर नहीं लग रहा है। बचना मुश्किल है यहां पर। छह सात जवान हैं यहां पर। चारों तरफ से घेर लिए हैं, फिर भी मैं यहीं…।

संकरे रास्ते पर इंतजार कर रहे थे माओवादी
एक टीवी चैनल से बात करते हुए मोर मुकुट शर्मा ने बताया कि संकरा रास्ता होने के कारण हमें बाइक से जाना पड़ा था। माओवादी बस इसी मौके का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही जवान बाइक से आए उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। मोर मुकुट ने बताया कि एक जवान 10 मीटर की दूरी पर दर्द से कराह रहा था। 45 मिनट तक वह गोली लगने के बाद भी चुपचाप दर्द को दबाए रहा। करीब 20 मीटर की दूरी पर कैमरामैन साहू पड़े थे। हम चार इंच भी सिर ऊपर करते तो माओवादी गोली मारने की स्थिति में थे। मेरे कान के पास से कई गोलियां गुजरी थीं।

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