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जर्जर एम्बुलेंस में अचानक लॉक हो जाते हैं दरवाजे

locationजगदलपुरPublished: Jun 26, 2022 12:43:59 am

Submitted by:

Rajeev Vishwakarma

जिला हास्पिटल में बिगड़ी पड़ी 108 एंबुलेंस, जर्जर एम्बुलेंस में अचानक लॉक हो जाते है दरवाजे, मरीजो की जान सांतत में, बूढ़ी व बीमार एंबुलेंस पर मरीजों की जान बचाने का जिम्मा, पिछला दरवाजा नहीं खुलने से सामने की खिड़की से उतारने की मजबूरी

जिला हास्पिटल में बिगड़ी पड़ी 108 एंबुलेंस

जिला हास्पिटल में बिगड़ी पड़ी 108 एंबुलेंस

दंतेवाड़ा . जिले में बूढ़ी हो चुकी व बीमार एंबुलेंस से मरीजों को आपात सेवा दी जा रही है। इसमें मरीजों के साथ ही एंबुलेंस में चलने वाले पायलट यानि ड्राइवर और ईएमटी की जान भी हमेशा जोखिम में रहती है। आपात सेवा 108 एंबुलेंस की दिनों दिन लचर होती जा रही स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला मुख्यालय में तैनात 3 एंबुलेंस में एक एंबुलेंस बिगड़ी हुई पड़ी है। वहीं, करीब 12 साल पुरानी एंबुलेंस के दरवाजे के लॉक नहीं खुलने से मरीजों को पिछले दरवाजे की बजाय ड्राइवर केबिन की तरफ वाले वेंटिलेटर यानि खिड़की से खींचकर उतारने की नौबत आती है। शनिवार को भी ऐसा ही एक वाकया सामने आया, जब बारसूर इलाके के हितामेटा से लाए गए बुजुर्ग मरीज गमीर को इसी वेंटिलेटर वाली खिड़की की तरफ से खींचकर निकालना पड़ा।
कहीं भी बिगड़ पड़ती है एंबुलेंस
आपातसेवा में इस्तेमाल हो रही टाटा विंगर और फोर्स मॉडल वाली कुछ गाड़ियों की हालत इतनी खराब है कि राह चलते बिगड़ जाती हैं, और दूसरी गाड़ी बुलाकर मरीजों को हास्पिटल शिफ्ट करना पड़ता है। कुछ माह पहले कटेकल्याण से मरीज लेकर आ रही एक एंबुलेंस में भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था। एंबुलेंस बीच रास्ते में खड़ी हो गई। इसके बाद जिला हास्पिटल से दूसरी एंबुलेंस भेज कर मरीज को लाया गया था।
दो लाख किमी से ऊपर चल चुकी एंबुलेंस
दंतेवाड़ा जिले में आपात सेवा एंबुलेंस की शुरूआत वर्ष 2011 में हुई थी। शुरूआत में 4 एंबुलेंस मिले थे। फिलहाल जिले में कुल 6 एंबुलेंस उपलब्ध हैं, जिनमें कुछ पुरानी एंबुलेंस अब भी सेवा दे रही हैं, जो 2 लाख किमी से ऊपर चल चुकी हैं, लेकिन उनके मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शुरूआत में जीवीके ईएमआरआई कंपनी द्वारा बेहतरीन ढंग से आपात सेवा एंबुलेंस का संचालन किया जा रहा था, लेकिन वर्ष 2019 से जय अंबे एंबुलेंस सर्विस के हाथ यह सेवा चले जाने के बाद से स्थिति बिगड़ती चली जा रही है। हालात इतने खराब हैं कि कंपनी गाड़ी में आई खराबी को सुधारने की लागत की भरपाई संबंधित पायलट यानि ड्राइवर की जेब से करवा रही है। गाड़ियों की मरम्मत का काम दंतेवाड़ा के किसी लोकल वेंडर से करवाने की बजाय जगदलपुर से करवाया जाता है, जिससे बिगड़ी हुई एंबुलेंस के सुधर कर आने में 2-3 दिन या उससे ज्यादा समय लग जाता है।
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