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विलुप्ति संस्कृति को ऑक्सीजन देने की जा रही कवायद

locationजगदलपुरPublished: Mar 13, 2022 12:13:35 am

Submitted by:

Kunj Bihari

गोटाल परगना में 3 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन । अबुझमाड़ के तोयामेटा में 43 गांव के सैकड़ो ग्रामीण हुए शामिल। युवा पीढ़ी को देवी-देवता, संस्कृति, रीति रिवाजों की दी जा रही जानकारी

अबुझमाड़ के तोयामेटा में 43 गांव के सैकड़ो ग्रामीण हुए शामिल

युवा पीढ़ी को देवी-देवता, संस्कृति, रीति रिवाजों की दी जा रही जानकारी

नारायणपुर। अबुझमाड़ में निवासरत आदिवासियों की संस्कृति, देवी-देवता, रीति-रिवाज, नृत्य, गोटूल परम्परा धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रही है। इस संस्कृति-परंपरा से युवा पीढ़ी दूर होते जा रही है। इससे अपनी परम्परा एव संस्कृति से युवाओं जोड़ने सहित विलुप्त होती संस्कृति को ऑक्सीजन देने के कवायद अबुझमाड़ के ग्रामीणों द्वारा की जा रही है। इसके लिए अबुझमाड़ के तोयामेटा में 3 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में गोटाल परगना के अंतर्गत आने वाले 43 गांव के सैकड़ो ग्रामीण शामिल हुए है। इसमें गोटाल परगना के अंतर्गत आने वाले देवी-देवता उनके रीति-रिवाज, पूजा अर्चना, नृत्य सहित गोटूल परम्परा की जानकारी युवा पीढ़ी को दी जा रही है। इससे युवा सहित अन्य ग्रामीण अपनी आदिवासी संस्कृति, परम्परा रीति-रिवाजों को हमेशा सहेजकर रखकर निरन्तर इसका निर्वहन कर सकें। जानकारी की अनुसार अबुझमाड़ अपनी संस्कृति, सभ्यता, परम्परा ओर नैसर्गिक सौंदय को लेकर देश-विदेश ख्याति प्राप्त कर चुका है। लेकिन अबुझमाड़ में प्रचलित गोटूल परम्परा, ककसाद नृत्य, देवी-देवता, रीति-रिवाज सहित अन्य संस्कृति धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर पहुच गई। इसमें अबुझमाड़ की युवा पीढ़ी शहरों की चकाचौंध में अपनी संस्कृति, देवी-देवता, रीति-रिवाजों को भूलते जा रहे है। इन रीति-रिवाजों सहित संस्कृति का निर्वहन करने में युवा पीढ़ी रुचि नही दिखा रहे है। इससे अबुझमाड़ की परम्परा, रीति-रिवाज सहित गोटूल परम्परा विलुप्त होते जा रही है। इससे गोटूल परम्परा , देवी-देवता , अबुझमाड़ की संस्कृति सहित अन्य परम्परा को ऑक्सीजन देने की कवायद अबुझमाड़िया समाज द्वारा की जा रही है। इसमें अबुझमाड़ गोटाल परगना में 3 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला के शुरू होने के पूर्व ग्रामीणों ने 1 सप्ताह तक श्रमदान कर पारम्परिक तरीके से तोयामेटा में भव्य गोटूल का निर्माण करवाया है। इसी गोटूल परिसर में कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में 43 गांव में निवासरत परिवार प्रत्येक को उपस्थित होने की हिदायत दी गई है। इससे सैकड़ों ग्रामीण सहित युवा कार्यशाला में उपस्थित हुए है। इस कार्यशाला में गोटाल परगना के अंतर्गत देवी-देवता, उनकी पूजा-अर्चना, परगना नृत्य, रीति-रिवाज,गोटूल परम्परा, संस्कृति की जानकारी दी जा रही। इससे शहर की चकाचौंध की तरफ भटक रहा समाज अपनी संस्कृति, सभ्यता, परम्परा को निरन्तर निर्वहन कर संजोकर रख सके।
सामुहिक रूप से किया जा रहा आयोजन

तोयामेटा में 3 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सामूहिक रूप से सम्पन्न किया जा रहा है। इसमें गोटाल परगना के अंतर्गत 43 गांव में निवासरत प्रत्येक परिवार से 200 रुपए, 2 पैली चावल, 2 पैली दाल, 50 पत्तल एकत्रित किया गया है। इसको एकत्रित कर कार्यशाला में 3 दिवस में होने कला खर्च सहित ग्रामीणों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है। इसके युवा पीढ़ी को भोजन बनाने से लेकर इसको परोसने की जिम्मेदारी सौपी गई है। इसके साथ ही समाज के बुजुर्ग व्यक्तियों सहित समाज प्रमुखों द्वारा युवाओं को अपने देवी-देवता, रीति-रिवाज, संस्कृति की जानकारी कार्यशाला में प्रदान की जा रही है।
देवी-देवताओ की जानकारी की जा रही है साझा

अबुझमाड़ के गोटाल परगना में नेडनार गांव में पाण्ड लैया देव, कलमानार में कण्डा मुदिया, कोडकानार में राजगुरु, ताडोनार में दुधकोला , इरकभटटी में मुयापेकाल, मोहन्दी में लालकंवर, करेल में लच्छनकंवर देव का स्थान बना हुआ है। वही कलमानार में बजरमड़ियो, करेल में जिम्मेदारिन, गोटा जम्हरी में नुंगदाई माता, इरकभटटी में वालाकरियो माता, कटुलनार में नगुरमुले एव सोनादारिय माता का देव स्थान बना हुआ है। इससे गोटाल परगना के अंतर्गत बने देवी-देवतो के स्थान, उनकी पूजा-अर्चना, रीति रिवाज की जानकारी युवा पीढ़ी सहित सामाजिक लोगों के साझा की जा रही है।
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