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देश में पहलीबार ‘टेक्स्ट टू स्पीच’ तकनीक के जरिए आदिवासी अखबार, किताबें और खबरें गोंडी में सुन सकेंगे

locationजगदलपुरPublished: Jul 31, 2019 10:51:10 pm

Submitted by:

Shaikh Tayyab

अब अशिक्षित आदिवासी अपनी गोंडी भाषा में ही अखबार और किताबें सुन सकेंगे। देश में पहली बार एेसा हो रहा है कि टेक्स्ट टू स्पीच तकनी के जरिए गोंडी भाषा में रोज की खबरें और अपने अधिकार जैसी किताबें सुन सकेंगे। वो भी अपने स्मार्टफोन पर ही। दरअसल माइक्रोसोफ्ट अनुसंधान, आईआईआईटी नया रायपुर और सीजीनेट स्वरा फाउंडेशन की टीम पिछले एक साल से इस क्षेत्र में लगातार काम कर रही थी, जिसके बाद यह आदिवासी रेडियो ऐप तैयार हुआ है।

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जगदलपुर. अब अशिक्षित आदिवासी अपनी गोंडी भाषा में ही अखबार और किताबें सुन सकेंगे। देश में पहली बार एेसा हो रहा है कि टेक्स्ट टू स्पीच तकनी के जरिए गोंडी भाषा में रोज की खबरें और अपने अधिकार जैसी किताबें सुन सकेंगे। वो भी अपने स्मार्टफोन पर ही। दरअसल माइक्रोसोफ्ट अनुसंधान, आईआईआईटी नया रायपुर और सीजीनेट स्वरा फाउंडेशन की टीम पिछले एक साल से इस क्षेत्र में लगातार काम कर रही थी, जिसके बाद यह आदिवासी रेडियो ऐप तैयार हुआ है। मंगलवार को आईआईआईटी नया रायपुर में लॉन्च किया गया था।

इस क्षेत्र में लगातार काम कर रहे और सीजीनेट स्वरा फाउंडेशन के संस्थापक सुभ्रांशु चौधरी ने बताया कि टेक्स्ट टू स्पीच तकनीक पर आधारित यह ऐप लिखित रिपोर्टों को पढ़ सकता है। यह आदिवासी भाषाओं में बहुत उपयोगी होगा जहां कई लोग अभी भी दैनिक समाचार पत्रों को पढऩे और याद करने में असमर्थ हैं। ऐप गोंडी भाषा में रिपोर्ट भी पढ़ सकता है, जो इस क्षेत्र की प्रमुख आदिवासी भाषाओं में से एक है। आदिवासी रेडियो ऐप विभिन्न बाहरी स्रोतों से गोंडी भाषा में उपलब्ध सामग्री का भंडार भी है। आईआईआईटी के निदेशक प्रदीप सिन्हा ने इस दौरान कहा हम आदिवासी क्षेत्रों में जाना चाहते हैं और लोगों को लाभान्वित करने वाली तकनीकों का निर्माण करना चाहते हैं। यह ऐप माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया, सीजीनेट स्वरा और आईआईआईटी नया रायपुर के बीच साझेदारी से पैदा हुए प्रयासों में से एक है।

एप्प में १० हजार वाक्यों का अनुवाद भी डाला गया है
टीम ने अब गोंडी और अन्य भाषाओं के बीच मशीन अनुवाद उपकरण बनाने का काम शुरू कर दिया है। उस दिशा में पहले कदम के रूप में, सीजीनेट स्वरा फाउंडेशन की एक टीम ने हिंदी से गोंडी तक 10 हजार वाक्यों का अनुवाद किया है। इन वाक्यों को अब कंप्यूटरों में फीड किया जाएगा। आईआईआईटी नया रायपुर के छात्र इस परियोजना पर माइक्रोसॉफ्ट के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर काम करेंगे। ये 10 हजार वाक्य 400 बच्चों की किताबों से लिए गए हैं, जो एक एनजीओ प्रथम पुस्तकें द्वारा प्रदान की गई हैं। यह पहली बार है जब गोंडी भाषा में कई पुस्तकों का अनुवाद किया गया है और गोंडी को मुख्यधारा में लाने में मदद मिलेगी। छत्तीसगढ़ राज्य की 31 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है और गोंड सबसे बड़े समूह हैं।

माओवादियों की खोखली विचारधारा को सामने लाने में भी मिलेगी मदद

सुभ्रांशु चौधरी बताते हैं कि बस्तर में १०० में करीब ९० प्रतिशत लोग यहां के स्थानीय हैं। यह अशिक्षित होने और अपने अधिकार नहीं जानने के कारण माओवादियों की जंगल के अधिकार जैसी बातों में आ जाते हैं। जबकि सरकार और हमारा संविधान उन्हें पहले ही यह अधिकार देता है। इसलिए जब वे इस एप्प के जरिए जागरूक होंगे तो माओवादी विचारधारा से अपने आप दूर होते चले जाएंगे और अपने अधिकार की बात लोकतांत्रिक तरीके से करेंगे। यह आदिवासियों को जागरूक करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

आदिवासी वर्ततान की जानकारी मिले इसलिए रोज डालेंगे पांच प्रमुख खबरे
सुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि आदिवासी देश दुनिया की खबरों से भी जुड़े रहे इसके लिए वे रोज की टॉप -५ खबरों को गोंडी भाषा में डालेंगे। यह देवनागरी में रहेगी। लेकिन गोंडी भाषा चुनते ही यह सारी खबरें और जानकारी गोंडी में सुन भी सकेंगे।

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