होली पर 500 साल बाद बना विशेष संयोग, गजकेसरी योग में खेली जाएगी होली
होलिका दहन में नहीं रहेगा भद्रा का साया

जगदलपुर. होली का त्यौहार इस बार १० मार्च को पड़ रहा है और ९ को होलिका दहन किया जाएगा। वहीं इस बार कई सालों बाद होली पर विशेष संयोग बन रहा है। करीब ५०० सालों बाद होली पर गजकेसरी का शुभ संयोग बन रहा है।
गजकेसरी योग में ग्रह-नक्षत्र एक खास दशा में होते हैं, जिसका राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गज मतलब हाथी और केसरी का अर्थ शेर है। ज्योतिषशास्त्र में हाथी और शेर को राजसी सुख से जोड़कर देखा गया है। गजकेसरी योग में गुरु बृहस्पति और शनि अपनी ही स्वराशियों में रहेंगे, जिससे लोगों के जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य में बढ़ोत्तरी होगी। वहीं ब्रहस्पति धनु राशि में और शनि मकर राशि में रहेंगे। मिली जानकारी के अनुसार इसके पहले ३ मार्च १५२१ में यह खास संयोग बना था।
होलिका दहन में नहीं रहेगा भद्रा का साया
होलिका दहन में इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा। भद्रा के साए में होलिका दहन करना शुभ नहीं माना जाता। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम ६ बजकर २२ मिनट से रात ८ बजकर ४९ मिनट तक है। इसी दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग भी लगा हुआ है। इस समय में होलिका पूजन करने से सालभर समृद्धि बनी रहेगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
संध्या काल का मुहूर्त - शाम ६.२२ से रात ८.४९ तक
भद्रा पुंछा का मुहूर्त - सुबह ९.५० से १०.५१ तक
भद्रा मुखा का मुहूर्त - सुबह १०.५१ से दोपहर १२.३२ तक
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