रमन्ना के साथ संगठन में सक्रिय रहा है गणेश
माओवादी नेता गणेश उईके और रमन्ना दोनों साथ-साथ संगठन में सक्रिय हुए थे। तेलंगाना के वारंगल जिले के निवासी यह दोनो माओवादी अपनी क्षमता के आधार पर बस्तर में तेजी से संगठन का विस्तार किया। लेकिन रमन्ना की आक्रामकता, उसके संगठन के प्रति पूरे परिवार को जोडऩे का समर्पण देखते हुए तेजी से पदोन्नति दी गई। मामूम हो कि रमन्ना मिलिट्री बटालियन में सक्रिय रहने के दौरान कोंटा के भेज्जी इलाके के गोरखा की महिला से शादी की। उसे संगठन में सक्रिय किया। वहीं इसके बाद अपने बेटे कट्टम रमेश को भी संगठन में जोड़ा था। बस्तर में भी इन्होंने तीन दशक से अधिक समय संगठन के विभिन्न पदों में बिताया है।
कौन है गणेश उईके
गणेश उईके तीन दशक से बस्तर इलाके में सक्रिय है। उसकी संगठन क्षमता की वजह से उसे अलग-अलग पद की जिम्मेदारी दी गई। दरभा डिविजन तैयार और मजबूत करने के पीछे भी गणेश उईके की अहम भूमिका बताई जाती है। गणेश उईके की दक्षता को देखते हुए ही उसे कुछ माह पूर्व ही सीसी मेंबर बनाकर एओबी(आंध्रा-ओडिशा बॉर्डर) का इंचार्ज भी बनाया गया है।
भिलाई में रह रहा था वकील बनकर
गुड्सा उसेंडी माओवादियों के लिए शहरी नेटवर्क के रूप में काम कर चुका है। वह भिलाई में पहचान छिपाकर वकील के रूप में रह रहा था। पुलिस ने जब दबिश दी तो इसकी पत्नी मालती और अन्य साथी पकड़ा गए, लेकिन गुड्सा मौके से भागने में कामयाब हो गया। इसके बाद वह माओवादी संगठन में डीकेएसजेडसी के सदस्य के रूप में काम कर रहा है। उसके नाम पर भी पोलित ब्यूरो की बैठक में चर्चा की संभावना है।
हरिभूषण को डीकेएसजेडसी की कमान नहीं देने की चर्चा
तेलंगाना स्टेट कमेटी के सेकट्री के काम कर रहे हरिभूषण माइन लॉबी से उगाही करने का एक्सपर्ट है। वर्तमान में वह बैलाडिला इलाके में भी सक्रिय है और यहां उगाही कर संगठन तक पैसे पहुंचाने का काम करता है। हालांकि यह अभी भी डीकेएसजेडसी का सदस्य है, लेकिन सेंट्रल कमेटी में इसे सदस्यता नहीं मिली हे। बस्तर की अच्छी जानकारी नहीं होने की वजह से हरिभूषण को डीकेएसजेडसी की कमान नहीं देने की चर्चा है।
छह महीने से बीमार था रमन्ना
सूत्रों के मुताबिक रमन्ना छह माह से बेड में ही था। इस दौरान से ही संगठन ने डीकेएसजेडसी के नए सचिव की तलाश शुरू कर दी थी। तीन बड़े नामों पर लगातार चर्चा के बाद यह तय किया गया कि पूरे देश में बस्तर माओवादियों का आधार इलाका है। इस इलाके में माओवादी अपनी पकड़ कमजोर नहीं करना चाहते हैं। इसलिए बेहतर संगठन क्षमता और इलाके में लंबी सक्रियता वाले लीडर को कमान सौंपने पर सहमति बनी है।