scriptGods also get punished in the court of Bhangaram Mai Devi | भंगाराम मांई देवी के दरबार में देवताओ को भी मिलती है सजा | Patrika News

भंगाराम मांई देवी के दरबार में देवताओ को भी मिलती है सजा

locationजगदलपुरPublished: Jan 08, 2023 04:27:04 pm

Submitted by:

Manish Gupta

जगदलपुर.भंगाराव माई का दरबार देवी देवताओं को इंसाफ देने के लिए जाना जाता है. अदालतों से लेकर आम परंपराओं में भी देवी देवताओं की कसमें खाई जाती हैं. लेकिन उन्हीं देवी देवताओं को यदि न्यायालय की प्रक्रिया से गुजरना पड़े, तो यह वाकई में अनूठी परंपरा है. जो इस आधुनिकता के दौर में शायद ही कहीं दिखाई दे.

 

मेले में भारती है देवताओ की अदालत
भंगाराम मांई देवी के दरबार में देवताओ को भी मिलती है सजा
अंचल की ईष्ट देवी भंगाराम मांई का फूल मेला शनिवार को विधि विधान के साथ हुआ। ऐसा माना जाता है कि, यहाँ के मेला होने के बाद ही इलाके में अन्य जगहों पर वार्षिक मेले की शुरुआत होती है। मेला का आनंद उठाते लोगों ने भंगाराम मांई एवं अन्य देवी देवताओं का यहा पहुचे लोगो ने आशिर्वाद लिया। ज्ञात हो कि भंगाराम मेला के दूसरे दिन कांकेर का मेला होता है उसके बाद कांकेर जिला मे मेला लगने का सिलसिला शुरू हो जाता है जो क्रमश: बढते हुये नारायंणपुर का फिर कोंडागांव का केशकाल -बिश्रामपुरी अंचल का मेला होता है |भंगाराम मांई का मेला के बाद ही कोंडागांव जिले में मेले की शुरुआत भी मानी जाती है। ज्ञात हो कि, इसी जगह पर साल में एकबार होने वाले जात्रा के दौरान इलाके के देवी-देवता उपस्थित होते हैं और उन्हें उनके सालभर के कार्यो के अनुसार सजा भी सुनाई जाती है। छत्तीसगढ़ में कई ऐसी परंपरा और देव व्यवस्था है, जो आदिम संस्कृति की पहचान बन गई है. कुछ ऐसी ही परपंरा धमतरी जिले के वनाचंल इलाके में भी दिखाई देती है. यहां गलती करने पर देवी-देवताओं को भी सजा मिलती है. मान्यता है कि आस्था और विश्वास के चलते जिन देवी-देवताओं की लोग उपासना करते हैं, लेकिन वही देवी-देवता अपने कर्तव्य का निर्वहन न करें तो उन्हें शिकायत के आधार पर भंगाराम सजा देते हैं. सुनवाई के दौरान देवी-देवता एक कठघरे में खड़े होते हैं. यहां भंगाराम न्यायाधीश के रूप में विराजमान होते हैं. माना जाता है कि सुनवाई के बाद यहां अपराधी को दंड और वादी को इंसाफ मिलता है.
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