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इन नियमों की आड़ में सरकार किसानों से कर रही अन्याय, जानिए क्वालिटी टेस्ट में क्यों धान हो रहा रिजेक्ट

locationजगदलपुरPublished: Jan 06, 2020 10:53:27 am

Submitted by:

Badal Dewangan

किसानों की कोई जानकारी भी नहीं रखी जा रही हैं कि कितने पंजीकृत किसानों के धान क्वालिटी टेस्ट में फैल हो चूके हैं।

इन नियमों की आड़ में सरकार किसानों से कर रही अन्याय, जानिए क्वालिटी टेस्ट में क्यों धान हो रहा रिजेक्ट

इन नियमों की आड़ में सरकार किसानों से कर रही अन्याय, जानिए क्वालिटी टेस्ट में क्यों धान हो रहा रिजेक्ट

सुकमा. शासन की धान खरीदी नियमों के नये मापदण्ड किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। रोजाना दर्जनों किसानों के धान क्वालिटी टेस्ट में फेल हो रहे हैं। ऐसे किसान जिन्होंने बैंक या साहूकारों से कर्ज लेकर खेती किए हैं उनके धान रिजेक्ट होने से कर्ज चुकाने की चिंता सत्ता रही है कि वे कर्ज कैसे चुकाएंगे। ऐसे किसानों की कोई जानकारी भी नहीं रखी जा रही हैं कि कितने पंजीकृत किसानों के धान क्वालिटी टेस्ट में फैल हो चूके हैं।

निमयों की आड़ लेकर किसानों के साथ अन्याय
शुक्रवार को छिंदगढ धान खदीरी केन्द्र में बडी संख्या में धान लेकर किसान धान खरीदी केन्द्र पहुंचते थे। किसानों असमन, विष्णु ने टोकन 5 दिसम्बर को आकर कटाया था और उसे बेचने 3 जनवरी दिया गया। इस साल धान खरीदी के नये नियम आने से धान बेचने में बहुत अधिक दिक्कतें आ रही है। पूर्व में धान बेचने के लिए तीन से चार दिन के अंतर्राल में बेच देते थे। इस बार टोकन कटाने से बेचने के लिए एक महिना से अधिक समय लग जा रहा है। यही हाल रहा तो कई किसान इस साल धान नहीं बेच पाएंगे। सरकार निमयों की आड़ लेकर किसानों के साथ अन्याय कर रही हैं। किसानों को परेशान करने वाली ये पहली सरकार है। इस पहले किसानों को भी धान खरीदी के नाम इतना ज्यादा परेशान नहीं किया गया था।

हो रही बूंदा-बांदी
इधर बारिश होने के आसार बना हुआ है क्षेत्र में हलकी बारिश की बुंदा बादी हो रही है। खरीदी केन्द्रों में बारिश होने से धान भीगने से बचाने के लिए प्लास्टिक से कर्वर किया गया है लेकिन ज्यादा बारिश हुई तो ये किसी काम नहीं रहेंगा और धान भीगने की संभावन है। जबकि दूसरी और किसानों की धान की नमी चेक किया जा रहा है। जो किसान धान खरीदी केन्द्र लेकर पहुंचें रहें ऐसे किसान का धान बारिश का मार झेल रहे है। अगर नमी के पैमाने खरे नहीं उतरे तो अच्छा धान भी रिजेक्ट होने का खतारा मंडरायेगा। इस वक्त किसानों पर चैतरफा मुसिबत घिरी हुई है।

सुकमा केन्द्र में नहीं हुआ धान खरीदी
सुकमा में शुक्रवार को धान खरीदी नहीं हुआ। जबकि इस दिन 12 किसानों ने टोकन लिया था। हमाल नहीं होने का हवाला देकर धान खरीदी नहीं किया। इधर शनिवार और रविवार को ओर दो दिन अवकाश होने से खरीदी बंद रहेगी। किसान दिन भर लम्बी लाइन में खड़े होकर टोकन कटाते है। किसानों के लिए दूसरी बडी आफत हो रही हो गई।

रोजना 10 से 12 किसानों का धान हो रहा रिजेक्ट
छिंदगढ़ धान खरीदी केन्द्र में पहुचें किसानों ने बताया कि खरीदी केन्द्र में नियमों को हवाला देकर रोजना 10 से 12 किसानों को धान की खराब क्वालिटी बताकर उन्हें रिजेक्ट किया जा रहा है। रोजना जितने किसान धान बेच रहे है उसे ज्यादा किसान का धान रिजेक्ट हो रहा हैं। इस बात लेकर किसानों में काफी डर बना हुआ है कि कही हमारा धान रिजेक्ट तो नहीं हो जाएगा। किसानों बताया कि धान खरीदी केन्द्र भी धान बैचने के लिए दिन भर धूप, बारिश के बीच बैठकर अपने टोकन नंबर का इंतजार करते है। प्रबंधक जिला विपणन अधिकारी शीतल भोई ने बताया कि शासन की मापदण्ड के अनुसार ही धान की खरीदी की जा रही है।

धान को मोटा बताकर कर दिया रिजेक्ट
किसान मंगडू पोडियामी ने बताया कि उनका धान मोटा है कहकर खरीदी से मान कर दिया है। 80 पैकेट धान लेकर बेचने आया था। गांव भोपावाडा से खरीदी केन्द्र लाने के लिए 3 हजार रूपये खर्च होंगे। जब धान बेचने की बारी आई तो धान क्वालिटी टेस्ट में फेल बताकर धान खरीदी से मना कर दिया। उन्होंने 60 हजार रूपये का खाद बीज के लिए कर्ज लिया है। धान नहीं बैच पाने से उन्हें बैंक की कर्ज चुकाने की चिंता सता रही है। उन्होंने बताया कि परिवार का गुजारा इस फसल को बैचकर ही जो आमदनी होती है उसी से साल भर गुजारा होता है। धान नहीं बिकने से हमारे लिए बड़ी मुसीबत होगी।

रंग में फर्क बताकर धान किया रिजेक्ट
किसान राजू सोडी ने बताया कि खाद बीज के लिए 50 हजार का कर्ज लेकर खेती किया था। 50 क्वटिंल धान बेचने को लेकर आये थे। पूरा धान रिजेक्टर हो गया। धान नहीं बिकने से अब कैसे कर्ज चुकाएंगें इस बात की चिंता सता रही हैं। उन्होंने बताया कि धान के रंग को लेकर रिजेक्ट किया गया है जबकि धान की क्वालिटी सही है। धान में थोडा बहुत रंग के फर्क होता हैं। धान सही नहीं है कहकर जबरन धान को रिजेक्ट किया जा रहा है जो गलत है।

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