scriptबस्तर संभाग में लगभग 3000 किसान टोकन के बावजूद नहीं बेच पाए धान, सरकार ने फेरा मुंह तो बिचौलियों की हो गई चांदी | Government not buy paddy from Kisan, now brokersare buying dhan | Patrika News

बस्तर संभाग में लगभग 3000 किसान टोकन के बावजूद नहीं बेच पाए धान, सरकार ने फेरा मुंह तो बिचौलियों की हो गई चांदी

locationजगदलपुरPublished: Jun 09, 2020 08:37:19 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

बारदाना की कमी का हवाला देकर इन्हें लौटा दिया गया। बस्तर संभाग में 20 से 22 मई के बीच इन किसानों ने लिया था टोकन

बस्तर संभाग में लगभग 3000 किसान टोकन के बावजूद नहीं बेच पाए धान, सरकार ने फेरा मुंह तो बिचौलियों की हो गई चांदी

बस्तर संभाग में लगभग 3000 किसान टोकन के बावजूद नहीं बेच पाए धान, सरकार ने फेरा मुंह तो बिचौलियों की हो गई चांदी

जगदलपुर. बस्तर संभाग में 2762 से अधिक किसान टोकन होने के बावजूद भी धान बेचने से वंचित रह गए। अब यह लोग बिचौलियों का शिकार बन रहे हैं। 2500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से धान लेने वाली सरकार ने जब इनसे मुंह फेरा तो बिचौलिए इन्हें 1200 रुपए में उपज मांग रहे हैं।

धान खरीदी का अंतिम समय खत्म हो चुका है। आंकड़े बताते हैं कि अंतिम बार 20 से 22 मई को किसानों को धान लिया जाना था। लेकिन बस्तर संभाग में 4005 टोकन धारियों में सिर्फ 1243 किसानों ने ही धान बेचा। जबकि करीब 2762 किसान धान ही नहीं बेच सके। हालांकि इनमें कुछ ऐसे किसान भी हैं जिन्होंने अपना उपज नहीं बेचा।

दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा में तो एक भी किसान ने नहीं बेचा धान
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक इस किसानों से धान खरीदने की अंतिम दौर में दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा जिले में तो एक किसानों ने अपना धान नहीं बेचा। जबकि दंतेवाड़ा में 44 और सुकमा में 154 और नारायणपुर में 26 पंजीकृत किसानों ने टोकन लिया था। वहीं इन दो दिनो में सबसे अधिक कोंडागांव में 661 किसानों ने अपना बेचा।

1 लाख 62 हज़ार की जगह सिर्फ 42853 क्विंटल ही धान की हुई खरीदी
इधर विभाग के पास पंजीकृत किसानों के हिसाब से पिछले माह 1 लाख 62 हजार 245 क्विंटल धान खरीददारी की उम्मीद थी। लेकिन अन्य कारणों की वजह से 42853 क्विंटल धान की ही खरीददारी हो पाई। इस तरह करीब 65 प्रतिशत की कमी देखी गई।

इधर कुरूसपाल मामले में अब विभाग भ्रष्टाचार के मामल की कराएगा जांच
इधर घोटिया लैम्पस के कुरूसपाल में किसानों के धान नहीं लिए जाने के मामले की खबर छपने के बाद विभाग के जिला विपणन अधिकारी पूरे मामले की जांच कराने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें जो जानकारी मिली है उसके अनुसार किसान अपना धान बेचने ही नहीं आए। लैम्पस प्रबंधक ने बारदाने की कमी के चलते किसानों से धान नहीं लेने की बात कही थी। वहीं किसानों ने पत्रिका से बात करते हुए इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए लैम्पस प्रबंधन पर बिचौलियों से मिली भगत होने के कारण उनका धान नहीं लेने की बात कही थी।

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