पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी: विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाली एमए व एमएससी एंथ्रापालाजी थर्ड सेमेस्टर का पर्चा परीक्षा के एक दिन पहले ही लीक हो गया था। पर्चा लीक होने की जानकारी पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी। इसे लेकर छात्र संगठनों ने भी उग्र प्रदर्शन किया था। इस मामले में विवि प्रबंधन ने रजिस्ट्रार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया था।
रिपोर्ट कार्यपरिषद के सामने रखा: जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट तीन दिन के भीतर ही पेश कर दी थी। इसके बाद यह रिपोर्ट कार्यपरिषद को सौपी जानी थी। लगातार कई वजहों से यह बैठक टलती जा रही थी। इस बीच विवि ने एंथ्रापालाजी की सारी परीक्षाएं रद्द कर दी थीं। इस दौरान दीक्षांत समारोह का भी आयोजन हुआ। इसके कई दिनों बाद आखिरकार मंगलवार को यह बैठक हुई। बैठक में मौजूद सदस्यों ने पर्चा लीक होने को गंभीर त्रुटि माना। अंतत इन्होने यह निर्णय लिया कि इस कार्य में सलिप्त प्राध्कापक डा स्वपन कोले को परीक्षा के सारे दायित्वों से आजीवन मुक्त कर दिया जाए।
ऐसा हुआ था घटनाक्रमL
महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में एंथ्रोपालाजी की परीक्षाएं आयोजित होनी थीं। इसके लिए विवि प्रबंधन ने सभी प्राध्यापकों को पेपर सेट करने कहा था। इसी तारतम्य में डा सपन कोले को भी पेपर सेट करना था। इसके बाद एक जागरुक ने पत्रिका से संपर्क साधा व पेपर देने की पेशकश की थी। पत्रिका तक यह सारी प्रतियां पहुंचाई गईं। परीक्षा से ऐन पहले यह पेपर पत्रिका के पास पहुंच गए थे। अगले ही दिन पत्रिका ने इसे प्रकाशित कर दिया। इसकी पुष्टि हुई तो विश्वविद्यालय ने सारी परीक्षाएं रद्द कर दीं। व मामले में जांच बैठा दिया।