scriptपूरे देश में चल रहा ओडीएफ अभियान, ये स्कूल स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाते 10 साल में नहीं बना पाया शौचायल | Health and Nutrition Awarded District has Fail in ODF at Kondagaon | Patrika News

पूरे देश में चल रहा ओडीएफ अभियान, ये स्कूल स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाते 10 साल में नहीं बना पाया शौचायल

locationजगदलपुरPublished: Aug 23, 2019 02:25:26 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

इस जिले को शिक्षा स्वास्थ्य व सुपोषण (Health and Nutrition Award) के लिए अवार्ड भी दिया जा चुका है लेकिन स्कूल में अभी तक शौचायल (ODF Fail) नहीं बनाया गया है।
 
 

पूरे देश में चल रहा ओडीएफ अभियान, ये स्कूल में स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाते 10 साल में नहीं बना पाया शौचायल

पूरे देश में चल रहा ओडीएफ अभियान, ये स्कूल में स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाते 10 साल में नहीं बना पाया शौचायल

ODF Fail – बोरगांव. जिस जिले को हाल ही में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सुपोषण (Health and Nutrition Award) के लिए नीति आयोग द्वारा अवार्ड दिया गया हो और स्वच्छ भारत मिशन शुरू होने से पहले जिस ग्राम पंचायत को निर्मल ग्राम अवार्ड का तमगा मिला हो उसी जिले के उस निर्मल ग्राम में ऐसा भी एक स्कूल है जहां बच्चों के लिए एक शौचालय तक नही।

प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाता पैंसरा का स्कूल
एक तरफ खुले में शौच से मुक्त करने की सारी कवायद चल रही है वहीं दूसरी और सरकारी स्कूलों में बच्चों को शौचालय जैसी जरूरी सुविधा मय्यसर तक नही है। शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही के चलते बिना शौचालय के स्कूलों में बच्चे पढ़ रहे हैं। देखा जाए तो यह स्कूल प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाता प्रतीत हो रहा हैं मामला विकासखंड मुख्यालय फरसगांव से महज चार.पांच किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत शंकरपुर के आश्रित गांव पैंसरा का है जहां 2009 में निर्मित माध्यमिक विद्यालय आज तक शौचालय, चारदीवारी एवं पेयजल समस्या से जूझ रहा है। शासकीय माध्यमिक विद्यालय पैसरा में छात्र छात्राओं की कुल दर्ज संख्या 31 है एवं 3 शिक्षक और एक शिक्षिका वाले इस शाला में न तो शौचालय है नहीं चार दीवारी और न ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था।

एक वर्ष से भृत्य नहीं है शाला में
शाला में पेयजल हेतु स्कूल के पास ही नल है लेकिन उक्त नल का पानी पीने योग्य नहीं है। पिछले एक वर्ष से इस शाला में पदस्थ भृत्य को जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश के तहत बड़ेडोंगर के किसी स्कूल में संलग्न किया गया तब से स्कूली बच्चों के द्वारा करीब आधा किमी दूर नल से पानी लाकर मध्यान्ह भोजन सहित स्कूल में पेयजल की पूर्ति की जा रही है। अपुष्ट सूत्रों से पता चला है कि जिले में अभी नया शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले धड़ल्ले से भृत्यों की भर्ती की गई और बावजूद इसके 1 साल से इस स्कूल को एक भृत्य नसीब नहीं हुआ। जबकि कुछ शालाओं में भृत्य का रिक्तपद न होने के बावजूद उस शाला में भृत्यों का पदस्थ करना विभाग पर उंगली उठना लाजमी है।

पूरे देश में चल रहा ओडीएफ अभियान, ये स्कूल में स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाते 10 साल में नहीं बना पाया शौचायल

स्कूलों में शौचालय और पेयजल अनिवार्य- सुप्रीम कोर्ट
बता दें कि एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सभी निजी एवं सरकारी शालाओं में बालक एवं बालिका के लिए अलग.अलग शौचालय का निर्माण हो जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायलय ने यह आदेश शिक्षा का अधिकार कानून के संदर्भ में दिया हैए जिसमें कहा गया है कि 06 से 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा की गारंटी भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 ;कद्ध के तहत मौलिक अधिकार के रूप में दी गई है। यह अधिकार तब तक पूरा नहीं हो सकता हैए जब तक कि राज्य शालाओं में मूलभूत सुविधा के रूप में सुरक्षित पेयजल एवं शौचालय उपलब्ध नहीं करा देते। न्यायालय ने इस बात का संदर्भ लिया है कि अनुभवों एवं सर्वेक्षण से पता चलता है कि पालक खासतौर से बालिकाओं को शाला में भेजना बंद कर देते हैंए जहां शौचालय का अभाव होता है। इस स्कूल में सीधे तौर पर उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना देखा जा सकता है।

पूरे देश में चल रहा ओडीएफ अभियान, ये स्कूल में स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाते 10 साल में नहीं बना पाया शौचायल
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो